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गांधी-नेहरु- सरदार काट चुके हैं जेल, आप पैसे देकर बन सकते हैं यहां के कैदी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। वैसे तो लोग कभी जेल जाने की इच्छा नहीं रखते पर यहां तो लोग खुशी-खुशी जेल जाने को तैयार हैं। महाराष्ट्र में शुरु जेल पर्यटन को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। पुणे की येरवड़ा जेल में शुरू किए गए जेल पर्यटन के लिए छात्रों-शिक्षकों में आकर्षण नजर आ रहा है। नौ दिनों में 367 लोगों ने येरवड़ा जेल के पर्यटन का लुप्त उठाया है। इसमें 326 विद्यार्थियों और 41 शिक्षक शामिल हैं। फिलहाल येरवड़ा जेल में पर्यटन के लिए आने वाले छात्र और शिक्षक सभी पुणे जिले के ही हैं। गुरुवार को प्रदेश सरकार के गृह विभाग के एक अधिकारी ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि फिलहाल स्कूलों के छात्र और शिक्षकों से येरवड़ा जेल पर्यटन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है। लेकिन आने वाले समय में जेल पर्यटन के लिए लोगों को शुल्क देना पड़ेगा। इसके लिए गृह विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है जिसको वित्त विभाग के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
पैसे देकर बन सकते हैं इन जेलों के कैदी
पुणे कि इस जेल फिलहाल केवल छात्रों व शिक्षकों को ही जाने की अनुमति है। पर तेलंगाना की सबसे पुरानी सेंट्रल जेल को 2016 में टूरिस्ट स्पॉट बनाया गया था। 220 साल पुरानी इस जेल में आम लोग बिना किसी जुर्म के 500 रुपये देकर जेल में घूम सकते हैं। 2018 में इस जेल में पैसे देकर रुकने की व्यवस्था भी की गई। केरल की विय्युर सेंट्रल जेल में लोग पैसे देकर रहे सकते हैं। यहां पैसे चुकाकर कैदियों की तरह जिंदगी जी जा सकती है। भारत की सबसे बड़ी तिहाड़ जेल (दिल्ली) में भी पर्यटक जा सकते हैं।
गांधी-नेहरु- सरदार यहां काट चुके हैं जेल
येरवड़ा जेल में आजादी के समय कई स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों और नेताओं को बंद किया गया था। येरवड़ा जेल में महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, सरोजिनी नायडू, सुभाषचंद्र बोस, मोतीलाल नेहरु, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभभाई पटेल जैसी हस्तियां इस जेल में रही हैं। येरवड़ा जेल में ही मुंबई के 26 नवंबर 2008 आतंकी हमले के आरोपी अजमल कसाब को फासी दी गई थी।
प्रति व्यक्ति पांच अथवा दस रुपए शुल्क की राशि तय की जाएगी। अधिकारी ने कहा कि जेल पर्यटन को 26 जनवरी से शुरू किया गया था। कोरोना काल होने के कारण फिलहाल दूसरे जिलों के स्कूलों के विद्यार्थी नहीं आ रहे हैं पर हमें उम्मीद है कि स्थिति सामान्य होने पर शिक्षा संस्थानों और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों का अच्छा प्रतिसाद मिलेगा। अधिकारी ने कहा कि कोरोना संकट के कारण जेल पर्यटन के लिए नियमावली तय की गई है। इसके अनुसार प्रति दिन 50 लोगों को ही जेल पर्यटन के लिए अनुमति दी जाती है। पर्यटन के लिए आने वाले लोगों को येरवड़ा जेल के अधीक्षक के पास पंजीयन कराना पड़ता है। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और शैक्षणिक आस्थापना, गैर सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधि येरवड़ा जेल के ऐतिहासिक स्थल देख सके, इसके लिए जेल पर्यटन को शुरू किया गया है।
Created On :   18 Feb 2021 7:49 PM IST