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वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाए जाने पर नजर रखे सरकार - हाईकोर्ट का निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर राज्य सरकार इसकी पड़ताल करे कि वाहनों में स्पीड गर्वनर (गति नियंत्रक) लगाए जा रहे है कि नहीं। साथ ही सरकार स्पीड गवर्नर की बाबत लोगों के बीच व्यापक रुप से प्रचार प्रसार भी करे। न्यायमूर्ति नरेश पाटील व न्यायमूर्ति अनूजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। याचिका में दावा किया गया था कि वाहनो में खामीपूर्ण स्पीड गर्वनर लगाए जा रहे हैं।
इसके साथ ही बड़े पैमाने पर वाहनों में लगे स्पीड गवर्नर के साथ छेड़छाड भी की जा रही है। कई वाहनों में तो अस्वीकृत स्पीड गवर्नर लगाए जा रहे हैं। पर सरकार का परिवहन विभाग व आरटीओ अधिकारी इस मामले को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि वाहनों के निर्माताओं की ओर से भी स्पीड गर्वनर को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जाती। मोटर वेहिकल कानून के नियमों के मुताबिक वाहनों में अनिवार्य रुप से स्पीड गवर्नर होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा को लेकर बनी कमेटी ने भी इस संबंध में सभी राज्यों के परिवहन विभाग के सचिवों को निर्देश जारी किया है।
पड़ताल करें, कि वाहनों में स्पीड गर्वनर लगा है की नहीं
याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर राज्य का परिवहन विभाग इसकी पड़ताल करे, कि वाहनों में स्पीड गर्वनर लगा है की नहीं। सड़क दुर्घटना के बाद पहले इस बात की पड़ताल हो की वाहन में स्पीड गवर्नर लगा था अथवा नहीं। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 26 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है और मामले में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने को कहा है। सरकारी वकील ने कहा कि परिवहन विभाग इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है और वह वाहनों की पड़ताल करने के बाद फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करता है।
Created On :   10 April 2018 8:39 PM IST