महाराष्ट्र सरकार राज्य की 49 नदियों को प्रदूषित होने से बचाए: हाईकोर्ट

Government should protect 49 rivers from pollution - High Court
महाराष्ट्र सरकार राज्य की 49 नदियों को प्रदूषित होने से बचाए: हाईकोर्ट
महाराष्ट्र सरकार राज्य की 49 नदियों को प्रदूषित होने से बचाए: हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य भर के विभिन्न इलाकों में स्थित 49 नदियों के प्रदूषण को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार आश्वस्त करे की नदियों के किनारे किसी तरह का निर्माण कार्य न हो साथ ही नदियों को प्रदूषित न किया जाए। जस्टिस अभय ओक व जस्टिस रियाज छागला की बेंच ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का सरंक्षण करना सरकार का वैधानिक दायित्व है। यदि नदियों का प्रदूषण जारी रहता है तो यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा। क्योंकि हर नागरिक को प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार है। लिहाजा सरकार अपने वैधानिक दायित्वों का निर्वहन करे ताकि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन न हो। 

नदियों की स्थिति बताए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  
इससे पहले बेंच ने केंद्रीय व महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पाया कि राज्य की 49 नदियों में तेजी से प्रदूषण फैल रहा है। यहा का पानी बेहद गंदा है। इससे नाराज बेंच ने कहा कि सरकार हमे अगली सुनवाई के दौरान बताए कि वह नदियों के प्रदूषण को रोकने के लिए कौन से कदम उठाएगी। नदियों के प्रदूषण के मुद्दे को लेकर वनशक्ति नामक गैरसरकारी संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि सरकार ने नदियों के नियमन से जुड़ी नीति को रद्द कर दिया है। लेकिन फिर दोबारा नदियों के संरक्षण को लेकर कोई नीति नहीं बनाई है। सरकार से अपेक्षा थी कि वह नदियों के किनारों की जमीन को बचाने के लिए एक सीमा तय करेगी, जहां निर्माण कार्य वर्जित हो। पर सरकार ने कुछ नहीं किया है। जिससे बेरोकटोक नदियों का प्रदूषण जारी है। 

नदियों को प्रदूषित होने से बचाए सरकार 
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता गायत्री सिंह ने कहा कि कई इलाकों में तो नदियों के किनारे ऐसा निर्माण हुआ है कि आम नागरिक का नदियों के किनारे जाना मुश्किल हो गया है। यह सब कुछ राज्य सरकार द्वारा नदियों से जुड़ी नीति को रद्द करने के कारण हुआ है। इन दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि ऐसा महसूस होता है कि सरकार नदियों के नियमन को लेकर कोई नीति लाने की इच्छुक नहीं है। इस पर सरकारी वकील मिलिंद मोरे ने कहा कि केंद्र सरकार इस विषय पर नीति व दिशा-निर्देश जारी करनेवाली है। उन्हें इस मामले में जवाब देने के लिए वक्त दिया जाए। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने मामले की सुनवाई 26 जून तक के लिए स्थगित कर दी। बेंच ने अगली सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी नदियों के प्रदूषण को लेकर किए गए अध्ययन की जानकारी देने को कहा है। 
 

Created On :   24 April 2018 6:50 PM IST

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