पशुओं को क्रूरता से बचाने सोसायटी को जगह उपलब्ध कराए सरकारः हाईकोर्ट 

Government should provide space to society to protect animals : HC
पशुओं को क्रूरता से बचाने सोसायटी को जगह उपलब्ध कराए सरकारः हाईकोर्ट 
पशुओं को क्रूरता से बचाने सोसायटी को जगह उपलब्ध कराए सरकारः हाईकोर्ट 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार प्राणियों को क्रुरता से बचाने के लिए राज्य भर में स्थापित सोसायटी को सभी जरुरी सुविधाएं व संसाधन प्रदान करे। खासतौर से उनके कामकाज के लिए कार्यालय दे। हाईकोर्ट ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि पशुसवंर्धन व दुग्ध विकास विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर प्राणी क्रूरता प्रतिबंधक सोसायटी के कार्यालय के  लिए जगह आवंटित करने की दिशा में कदम उठाए। ताकि वे प्राभवी ढंग से प्राणियों के कल्याण व हित में कार्य कर सके। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता अजय मराठे की ओर से दायर जनहित याचिका  पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। याचिका में मांग की गई है कि सरकार को जिला स्तर पर प्राणी क्रूरता प्रतिबंधक सोसायटी गठित करने व उसे जरुरी संसाधन व  सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि सरकार ने क्रूरता प्रतिबंधक कानून के तहत जरुरी सोसायटी गठित कर दी है। इस कमेटी में प्राणियों के हित में कार्य करनेवालों को गैरसरकारी सदस्य के रुप में शामिल किया गया है। जिलाधिकारी कार्यालय में बैठक के लिए जगह उपलब्ध कराई जाएगी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि जिलाधिकारी कार्यालय प्राणी क्रूरता प्रतिबंधक सोसायटी के लिए उपयुक्त नहीं है। क्योंकि सोसायटी के सदस्यों को सिर्फ बैठक का काम नहीं होता है और दूसरे कार्य भी होते हैं। इसलिए सरकार सोसायटी के लिए अलग से जगह उपलब्ध कराये। यदि सरकार सोसायटी को जगह उपलब्ध नहीं काराएगी तो यह समझा जाएगा कि सरकार प्राणी क्रूरता प्रतिबंधक कानून को लागू करने को लेकर गंभीर नहीं है।

अमरावती में प्राणियों की देखभाल के लिए बने संस्थान की सराहना

इस दौरान खंडपीठ ने अमरावती में खासौतर से प्राणियों की देखभाल के लिए गैर सरकारी संस्था की ओर से स्वयं की निधि से बनाए गए संस्थान की सराहना की। इस संस्थान में गायों व भैसों की देखभाल की जाती है। खंडपीठ ने कहा कि लोगों को अपनी मानसिकता में बदलाव कर सभी प्राणियों के प्रति समानभाव रखने की जरुरत है। क्योंकि सिर्फ पालतू प्राणी ही जानवर नहीं होते। प्राणी क्रूरता कानून बने  60 साल बीत चुके हैं। इसलिए सरकार इस मामले को गंभीरता से ले। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 18 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है। 

सिर्फ तेज रफ्तार वाहन चलाना सदोष मानववध नहीं

वहीं सिर्फ तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना ड्राइवर पर सदोष मानव वध का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने एक महिला पर तेज रफ्तार से कार चलाने के चलते लगाए गए सदोष मानववध के आरोप को रद्द करते हुए यह बात कही है। महानगर निवासी आरती शेट्टी 1 नवंबर 2012 को देर रात अपनी बीएमडब्लू कार से जा रही थी। जैसे ही उनकी कार सायन-पनवेल महामार्ग पर मानखुर्द के निकट  पहुंची तो एक आटोरिक्शा से टकरा गई। टक्कर इतनी तेज थी कि आटो में बैठे चार लोग गंभीररुप से जख्मी हो गए। बाद में एक महिला यात्री की मौत हो गई। इस हादसे में आटोरिक्शा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। पुलिस ने शेट्टी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 279, 338, 304 (।।) सदोष मानव वध के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस ने दावा किया कि शेट्टी गाड़ी चलाते वक्त नशे में थी। इसके साथ ही वे काफी तेज रफ्तार से गाड़ी चला रही थी। निचली अदालत ने इस मामले में दायर आरोपपत्र पर गौर करने के बाद शेट्टी के खिलाफ सदोष मानव वध सहित अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किया। जिसके खिलाफ शेट्टी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।  न्यायमूर्ति एनजे जमादार के सामने शेट्टी की याचिका पर सुनवाई हुई। शेट्टी ने दावा किया कि उसके खून में सीमित मात्रा में अल्कोहल का अंश मिला है। जो की नियमों के अनुरुप है। इसके अलावा जब वे गाड़ी चला रही थी अचानक उनके कार के सामने एक कुत्ता आ गया जिसे बचाने के चक्कर में वे गाड़ी से नियंत्रण खो बैठी जिसके चलते यह हादसा हुआ था। मामले से जुड़े देने पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि इस मामले में सड़क हादसा सुबह साढे चार बजे के करीब हुआ है। इस दौरान आम तौर पर सड़के खाली रहती है और इसी धारणा के चलते अक्सर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाई जाती है। ऐसे में यदि समय और सड़क की स्थिति को देखा जाए तो सिर्फ तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना सदोष मानव वध के आरोप के लिए पार्याप्त नहीं हैं। क्योंकि इस मामले से जुड़ी स्थितियां सिर्फ तेज रफ्तार के जरिए हादसा करने के आशय को नहीं दर्शाती। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने शेट्टी पर लगाए गए सदोष मानव वध के आरोप को हटा  दिया और अन्य धाराओं  के तहत मुकदमा चलाने को कहा।  
 

Created On :   3 Feb 2020 6:36 PM IST

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