- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- हाईकोर्ट : अमीर-गरीब सबके साथ एक...
हाईकोर्ट : अमीर-गरीब सबके साथ एक जैसा बर्ताव करे सरकार, अब पुजारी भी बन सकते हैं मंदिरों के ट्रस्टी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार सभी नागरिकों से गरिमा के साथ एक जैसा व्यवहार करे, फिर चाहे वह अमिर हो या गरीब। हाईकोर्ट ने यह बात 15 हजार नागरिकों को प्रदूषणयुक्त इलाके में रहने के लिए विवश किए जाने की जानकारी मिलने के बाद कही। प्रशंगवश मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने बाइबील के एक किस्से का उदाहरण भी दिया । जिसमें बाढ की स्थिति में नोहा ने अपने साथ रहनेवाले किसी भी प्राणी को नहीं छोड़ा। संकट के समय में वह अपनी जहाज में सभी जानवारों को ले गया। हमारी भी सरकार से अपेक्षा है कि वह सभी नागरिकों के साथ एक जैसा बर्ताव करे। खंडपीठ के सामने मुंबई महानगरपालिका की ओर से पिछले साल तानसा पाइप लाइन के किनारे बने घर गिराए जाने के कारण बेघर हुए लोगों की ओर से दायर किए गए आवेदन पर सुनवाई चल रही है। मनपा ने इन बेघर लोगों को माहुल इलाके में घर दिया है। लेकिन इस इलाके में काफी केमिकल प्रदूषण है। याचिका में दावा किया गया है कि मनपा हमे वैकल्पिक घर नहीं दे रही है और किराए के घर में रहने के लिए किराए के पैसे भी नहीं दे रही है। मनपा की ओर से पाइपलाइन के किनारे बने घर गिराए जाने के कारण 15 हजार परिवार के 60 हजार लोग प्रभावित हुए हैं। मनपा के वकील ने कहा कि बेघर लोगों को किराए देने के संदर्भ में हाईकोर्ट की ओर से दिए गए आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इसलिए मनपा ने किराए का भुगतान नहीं किया है। रिकार्ड पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मनपा को किराए का भुगतान करने के आदेश पर रोक नहीं लगाई है। खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार सभी नागरिकों से गरीमा के साथ एक जैसा बर्ताव करे। सरकार कुंभ मेले के दौरान पांच करोड़ लोगों की भीड़ का प्रबंधन कर लेती है लेकिन फिलहाल वह 60 हजार लोगों की देखरेख करने में असमर्थता जाहिर कर रही है। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई एक सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है।
पुजारी भी बन सकते हैं मंदिरों के ट्रस्टी
पुजारी भी देवस्थान ट्रस्ट के ट्रस्टी बन सकते है। बांबे हाईकोर्ट ने पुजारी को ट्रस्टी बनने से रोकनेवाले प्रावधान को रद्द करते हुए यह आदेश दिया है। राज्य के धर्मादाय (चैरिटी) आयुक्त ने 13 नवंबर 2017 को एक परिपत्र जारी किया था। इस परिपत्र के एक हिस्से में ऐसा प्रावधान किया गया था कि देवस्थान ट्रस्ट के लभार्थी (पुजारी) देवस्थान ट्रस्ट के ट्रस्टी नहीं बन सकते है। परिपत्र में देवस्थान ट्रस्ट को परिपत्र के हिसाब से ट्रस्टियों की नियुक्ति का निर्देश भी दिया था। राज्य के विभिन्न देव स्थान के पुजारियों ने धर्मादाय आयुक्त की ओर से साल 2017 में जारी परिपत्र में पुजारियों को ट्रस्टी बनने से रोकनेवाले प्रावधान को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। याचिका में दावा किया गया था कि धर्मादाय आयुक्त की ओर जारी परिपत्र में पुजारियों को ट्रस्ट्री बनने से रोकने वाला प्रावधान नियमों व सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों के खिलाफ है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि पुजारियों का भी ट्रस्ट में प्रतिनिधित्व होना चाहिए। वहीं सहायक सरकारी वकील ने पुजारियों की ओर से दायर की गई याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि धर्मादाय आयुक्त ने देवस्थान ट्रस्ट के बेहतर प्रबंधन व जनहित में 13 नवंबर 2017 को परिपत्र जारी किया है। और ट्रस्ट के लभार्थियों को देवस्थान ट्रस्ट का ट्रस्टी बनने से रोका है। न्यायमूर्ति अकिल कुरेशी व न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ ने त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट बनाम अध्यक्ष, पुरोहित संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले पर गौर करने के बाद धर्मादाय आयुक्त की ओर से जारी की गए परिपत्र के उस हिस्से को निरस्त कर दिया जो पुजारियों को देवस्थान ट्रस्ट का ट्रस्टी बनने से रोकता था। खंडपीठ ने परिपत्र के शेष हिस्से को यथावत रखा है। इस दौरान खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि धर्मादाय आयुक्त ट्रस्ट के बेहतर प्रशासन के लिए नए सिरे से परिपत्र जारी करने के लिए स्वतंत्र है।
रेस्टोरेंट में आग से 8 की मौत मामला : हाईकोर्ट ने कहा हम देखेंगे कि मनपा अधिकारी तो जिम्मेदार नहीं
बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि रेस्टोरेंट में आग लगने में मुंबई महानगर पालिका की लापरवाही तो जिम्मेदार नहीं है। हम इस बात को देखेंगे। साल 2015 में मुंबई के कुर्ला इलाके में स्थित सिटी किनारा रेस्टोरेंट में आग लगने के चलते आठ लोगों की मौत हो गई थी। इन आठ लोगों के परिजनों ने मुआवजे व मामले की जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति अकिल कुरेशी व न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ ने याचिका पर गौर करने के बाद कहा कि हम देखेंगे की रेस्टोरेंट में आग के लिए कही मनपा अधिकारियों की लापरवाही तो जिम्मेदार नहीं है। यहीं नहीं हम परिजनों की मुआवजों की मांग पर भी विचार करेंगे। क्योंकि इस हादसे में 8 लोगों की जान गई है।
Created On :   20 Aug 2019 7:02 PM IST