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मांस उत्पादन बढ़ाने खास अभियान चलाएगी सरकार, शुरु होगी ऑनलाइन बिक्री- तैयार होगा एप
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में अब ग्रामीण अंचल के युवाओं और महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए बकरी और भेड़ के मांस का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। राज्य सरकार का लक्ष्य बकरी और भेड़ पालन को व्यवसाय के रूप में विकसित करके बेरोजगारों को स्वयंरोजगार उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। राज्य में इसके लिए बकरी और भेड़ पालन की योजनाओं को अब विशेष अभियान के रूप में कार्यान्वयित किया जाएगा। गुरुवार को राज्य के पशुसंवर्धन विभाग की ओर से इस संबंध में परिपत्र जारी किया गया। बकरे के मांस के उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर महाराष्ट्र द्वितीय स्थान पर है। जबकि पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल है। वहीं भेड़ के मांस के उत्पादन में देश में महाराष्ट्र दसवें क्रमांक पर है। जबकि तेलंगाना प्रथम क्रमांक पर है। महाराष्ट्र में फिलहाल राज्य स्तरीय योजना के तहत अभिनव योजना, जिला वार्षिक योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना, राष्ट्रीय पशुधन अभियान के तहत बकरी-भेड़ विकास योजना चलाई जाती है। इन योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने और लाभ का दायरा बढ़ाने के साथ राज्य में और चार योजनाएं चलाई जाएंगी। इसमें बालासाहब ठाकरे कृषि व्यवसाय और ग्रामीण परिवर्तन (स्मार्ट) परियोजना, लघुकृषक कृषि व्यापार संघ अंतर्गत वेंचर कैपिटल स्कीम, किसान क्रेडिट कार्य योजना, राष्ट्रीय सहकार निगम अंतर्गत योजना लागू की जाएंगी।
स्मार्ट परियोजना के तहत फॉरवर्ड मार्केंटिंग की व्यवस्था के लिए किसान उत्पादक कंपनी बनाई जाएगी। एक कंपनी में कम से कम 100 सदस्य होंगे। हर तहसील में कम से एक कंपनी स्थापित की जाएगी। परियोजना में शामिल लाभार्थियों के उत्पादनों को ऑनलाइन बेचने के लिए एक एप तैयार किया जाएगा। वेंचर कैपिटल स्कीम के तहत लाभार्थियों को कृषि संबंधी उद्योगों के लिए व्याज मुक्त कर्ज मिल सकेगा। इसमें मुर्गी पालन और दुग्धव्यवसाय का भी समावेश है। किसान क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से लाभार्थियों को बकरी और भेड़ के लिए चारा और शेड के निर्माण के लिए कम दर पर कर्ज मिल सकेगा। राष्ट्रीय सहकार निगम योजना के तहत महिलाएं सहकारी संस्था बनाकर व्यवसाय के लिए कर्ज ले सकती हैं। इन योजनाओं पर प्रभावी रूप से अमल के लिए पुणे के पशुसंवर्धन आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति और प्रादेशिक पशुसंवर्धन सहआयुक्त की अध्यक्षता में समिति होगी। राज्य स्तरीय समिति को योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए वार्षिक कार्यक्रम बनाना होगा। इस पर होने वाले अमल की निगरानी के लिए हर तीन महीने में बैठक बुलानी होगी।
दूसरे प्रदेशों की तुलना में महाराष्ट्र की स्थिति
20 वें पशुगणना के अनुसार राज्य में बकरियों की संख्या 1 करोड़ 6 लाख 4 हजार है। जबकि भेड़ की संख्या 26 लाख 80 हजार है। साल 2018-19 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में बकरियों से 124.78 हजार मीट्रिक टन और भेड़ से 12.73 हजार मीट्रिक टन मांस का उत्पादन हुआ है। इसके अलावा भेड़ों से 1456.93 मीट्रिक टन ऊन प्राप्त हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर बकरियों की संख्या के मामले में महाराष्ट्र का छठवां स्थान है। महाराष्ट्र के आगे राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश है। भेड़ की संख्या में महाराष्ट्र सातवें स्थान पर है। इसमें महाराष्ट्र से आगे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडू और जम्मू-कश्मीर है।
बकरियों के मांस की दर अच्छी
सरकार का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त जाति, घुमंतु जनजाति प्रवर्ग की महिलाओं और बेरोजगार युवकों के लिए बकरी पालन व्यवसाय उपयुक्त है। फिलहाल पारंपरिक पद्धति से ग्रामीण इलाकों में घर-घर 2-4 से लेकर 15-20 बकरियों का पालन किया जाता है। बकरियों के मांस की पूरे राज्य में अच्छी मांग होने के कारण मांस की दर 600 से 700 रुपए प्रति किलो है। बकरियों के मांस की दर में किसी भी ऋतु और त्यौहारों के दौरान गिरावट नहीं देखी जाती है।
Created On :   17 Dec 2020 8:58 PM IST