हाईकोर्ट में सरकार का दावा आरक्षण की सीमा बढ़ाने का है अधिकार

Governments claim in High Court right to increase reservation limit
हाईकोर्ट में सरकार का दावा आरक्षण की सीमा बढ़ाने का है अधिकार
हाईकोर्ट में सरकार का दावा आरक्षण की सीमा बढ़ाने का है अधिकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट में दावा किया है कि संविधान राज्य सरकार को आरक्षण देने का अधिकार देता है। सरकार किसी समुदाय के पिछड़ेपन की पहचान कर उसे आरक्षण प्रदान कर सकती है। सरकार ने दावा किया कि आरक्षण के लिए केवल 50 प्रतिशत तक की सीमा निर्धारित नहीं है। सरकार के पास मराठा समुदाय के पिछड़ेपन से जुड़े आकड़े हैं, लिहाजा वह उसे आरक्षण प्रदान कर सकती है। बुधवार को राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने हाईकोर्ट में कहा कि आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की सीमा सरकार को इससे ज्यादा आरक्षण देने से नहीं रोकती है। सरकार के पास आरक्षण का दायरा बढाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि यदि कोई समुदाय पिछ़ड़ा है तो उसके कल्याण के लिए सरकार संविधान के अनुच्छेद 15 व 16 के तहत जरुरी कदम उठा सकती है। राज्य सरकार ने मराठा समुदाय को शिक्षा व नौकरी में 16 प्रतिशत आरक्षण दिया है। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई है। याचिका में सरकार की ओर से मराठा समुदाय को आरक्षण देने के निर्णय को असंवैधानिक बताया गया है और इसे रद्द करने की मांग की गई है। क्योंकि मराठा समुदाय को आरक्षण देने से आरक्षण 50 से बढकर 68 प्रतिशत हो गया है।  बुधवार को न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने श्री रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र व कानून के हिसाब से आरक्षण का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने यहां के समुदाय का अध्ययन करके उन्हें आरक्षण दे सकती है इसके लिए उसे राष्ट्रपति की मंजूरी की प्रतिक्षा करने की जरुरत नहीं है। वहीं राज्य सरकार की ओर से ही पैरवी कर रहे अधिवक्ता वीए थोरात ने दावा किया कि मराठा समुदाय योद्धा के रुप में जाना जाता था। लेकिन कुछ समय के बाद युद्ध होने बंद हो गए ऐसे में यह जरुरी हो गया है कि इस समुदाय के पुनर्वास के लिए कुछ कदम उठाया जाए। सरकार के इस निर्णय को किसी भी लिहाज से राजनीतिक नहीं ठहराया जा सकता। इस लिहाज से राज्य सरकार का मराठा समुदाय को आरक्षण देने का निर्णय पूरी तरह से तार्किक व युक्तिसंगत है। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में मराठा समुदाय के आईएएस अधिकारियों की संख्या भी बेहद कम है। मराठा समुदाय के सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक उत्थान के लिए राज्य सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने का निर्णय किया है। 

कोस्टल रोड परियोजना की बाबत मछुआरों की शिकायत सुने अधिकारी

वहीं बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई में प्रस्तावित कोस्टल रोड प्रोजेक्ट को लेकर राज्य के मत्स आयुक्त को मछुआरों की शिकायतों को सुनने के लिए कहा है। मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया है। इस दौरान खंडपीठ ने मछुआरों को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि मछुआरे फिलहाल समुद्री किनारों पर मछली पकड़ने का काम कर सकते है। वरली इलाके के मच्छीमार संगठन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में मछुआरों ने दावा किया है कि कोस्टल रोड प्रोजेक्ट  के चलते हमारी जीविका पर विपरीत असर पड़ेगा। इसके अलावा समद्री जीवों का जीवन भी प्रभावित होगा। क्योंकि समुद्र को पाट करके कोस्टल रोड के लिए जगह तैयार की जाएगी। याचिका में मुछुआरों ने कहा है कि उन्होंने अपनी बात सरकार के पास रखी थी लेकिन उस पर गौर नहीं किया गया। इस पर खंडपीठ ने कोस्टल जोन एथारिटी को इस मामले में जवाब देने व मत्स आयुक्त को मछुआरों के पक्ष को सुुुुनने का निर्देश दिया। 
 

Created On :   27 Feb 2019 4:19 PM GMT

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