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गुलशन कुमार हत्याकांड : तौरानी की रिहाई का आदेश कायम, रऊफ और अन्य को उम्र कैद
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने संगीत क्षेत्र की जानी-मानी हस्ती व गायक गुलशन कुमार की हत्या के करीब 24 साल पुराने मामले में दोषी पाए गए आरोपी अब्दूल रऊफ दाउद मर्चेंट की अजीवन कारावास की सजा को बरकार रखा, जबकि इसी प्रकरण से जुड़े आरोपी अब्दूल रशीद की रिहाई के आदेश रद्द करते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं कोर्ट ने इस मामले में आरोपी फिल्म निर्माता और टिप्स इंडस्ट्री के सह संस्थापक रमेश तौरानी की रिहाई के आदेश को कायम रखा है। गुरुवार को न्यायमूर्ति साधना जाधव व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। कैसेट किंग के नाम से मशूहर लोकप्रिय गायक गुलशन कुमार की 12 अगस्त 1997 में महानगर के अंधेरी इलाके में मंदिर के बाहर गोलीमार कर हत्या कर दी गई थी।
क्या है मामला
अभियोजन पक्ष के मुताबिक माफिया सरगना अनिस इब्राहिम के समय गुलशन कुमार की हत्या की साजिश रची गई थी। रऊफ इस बैठक में शामिल था। क्योंकि गुलशन कुमार ने माफिया सरगना अबु सलेम को वसूली के रुप में मांगे गए दस करोड़ रुपए देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद कुमार की हत्या का निर्णय किया गया था।
गोलियों से भूनकर गुलशन कुमार की हत्या 12 अगस्त 1997 को मुंबई में एक मंदिर के बाहर की गई थी। उस वक्त वह पूजा कर मंदिर से बाहर आ रहे थे। तभी अचानक बाइक सवारों ने उनपर ताबड़तोड़ 16 गोलियां दाग दीं। मौके पर ही गुलशन कुमार की मौत हो गई थी
29 अप्रैल 2002 को मुंबई सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एमएल टहिलियानी ने मामले से जुड़े 19 आरोपियों में 18 को बरी कर दिया था। जबकि रऊफ को इस मामले में दोषी ठहराया था। निचली अदालत ने राउफ को हत्या, आपारधिक षडयंत्र, हत्या के प्रयास, लूट अर्म्स एक्ट सहित अन्य आरोपों के तहत दोषी ठहराते हुए आजावीन कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के आदेश के खिलाफ रऊफ ने हाईकोर्ट में अपील की थी। जबकि राज्य सरकार ने फिल्म निर्माता तौरानी की रिहाई के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी। गुरुवार को खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया और तौरानी की रिहाई के आदेश को कायम रखा।
इसके अलावा खंडपीठ ने रऊफ की सजा को भी भी बरकरार रखा। लेकिन उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 392 व 397 के आरोपों से बरी कर दिया। इस दौरान खंडपीठ ने मामले से जुड़े एक अन्य आरोपी अब्दुल रशीद की रिहाई के आदेश को निरस्त करते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। खंडपीठ ने रशीद को तत्काल निचली अदालत व अथवा डीएन नगर पुलिस स्टेश के सामने आत्मसर्मपण करने का आदेश दिया है। यदि रशीद तत्काल आत्मसमर्पण नहीं करता है तो निचली अदालत उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर सकती है।
खंडपीठ ने मामले में दोषी पाए गए रऊफ आपराधिक पृष्ठभूमिक को देखते हुए उसके प्रति किसी भी प्रकार की नरमी दिखाने से इंकार कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि गुलशन कुमार की हत्या करने के बाद रऊफ फरार हो गया, बाद में उसे साल 2001 में गिरफ्तार किया गया। 2009 में रउफ को जेल से फरलो छुट्टी पर रिहा किया गया, लेकिन उसने समय पर जेल अधिकारियों के सामने अत्मसमर्पण नहीं किया। इस दौरान वह बग्लादेश में था। ऐसे में रऊफ के प्रति कोई उदारता नहीं दिखाई जा सकती है। राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ के सामने सरकारी वकील प्रजक्ता शिंदे व माधवी म्हात्रे ने पक्ष रखा।
Created On :   1 July 2021 7:15 PM IST