महाराष्ट्र के सभी जिलों में हो सोने के गहनों के लिए हॉलमार्क की सुविधाः हाईकोर्ट

Hallmark facility for gold jewelry in all districts of Maharashtra: High Court
महाराष्ट्र के सभी जिलों में हो सोने के गहनों के लिए हॉलमार्क की सुविधाः हाईकोर्ट
महाराष्ट्र के सभी जिलों में हो सोने के गहनों के लिए हॉलमार्क की सुविधाः हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोने के गहनो की प्रमाणिकता को परखने व हॉलमार्क केंद्र की सुविधा महाराष्ट्र के सभी जिलों में उपलब्ध कराने से जुड़े निवेदन पर केंद्र सरकार के उपभोक्ता विभाग को 15 मई 2021तक निर्णय लेने का निर्देश दिया है। राज्य के 36 में से 14 जिले ऐसे है जहां हॉलमार्किंग केंद्र की सुविधा नहीं है। जबकि 15 जनवरी 2021 से सभी सोने के गहनों में हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दिया गया है। जिन 14 जिलों में हॉलमार्किंग केंद्र की सुविधा नहीं है, उसमें बुलढाणा, जालना, गोंदिया, वर्धा, चंद्रपुर, नंदुरबार, परभणी बीड व गोंदिया सहित अन्य जिलों का समावेश है। 
 
इस विषय को लेकर पुणे सराफा एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में मुख्य रूप से 15 जनवरी 2021 से लागू किए गए आदेश और केंद्र सरकार की ओर से 14 जून 2018 को जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई है। यह अधिसूचना ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैण्डर्ड के प्रावधानों के तहत जारी की गई है। जबकि 15 जनवरी 2021 के आदेश के तहत बिना हॉलमार्क के सोने के गहने बाजार में नहीं बेचे जा सकते है। 

केंद्र सरकार के उपभोक्ता विभाग को 15 मई तक फैसला लेने का निर्देश 

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से जानना चाहा था कि कब तक राज्य के सभी जिलों में हॉलमार्किंग केंद्र की सुविधा उपलब्ध हो पाएगी। इसके बाद जब याचिका न्यायमूर्ति के के तातेड़ व न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी तो केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अनिल यादव ने कहा कि मामले से जुड़े अधिकारियों के कोरोना संक्रमित होने के चलते वे जरूरी निर्देश नहीं ले पाए हैं। इसलिए थोड़ा और वक़्त दिया जाए। 

इस पर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को एक सप्ताह में अपनी मांगों से जुड़ा एक निवेदन केंद्र सरकार के उपभोक्ता व खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण विभाग के अतिरिक्त सचिव को सौंपने का निर्देश दिया और सचिव को इस निवेदन पर 15 मई तक निर्णय लेने को कहा है। खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि यदि सचिव का निर्णय याचिकाकर्ता के पक्ष में नहीं आता है तो वे उसे हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए स्वतंत्र हैं।  


 

Created On :   3 May 2021 1:35 PM GMT

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