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कभी देखा है 1 किलो का कलेक्टर, यदी नहीं - तो खबर आपके पढ़ने लायक है
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। कलेक्टर नाम सुनकर लगेगा कि जिला के मुखिया की बात कर रहे हैं, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं। यहां जिस कलेक्टर की बात हो रही हैं, वो तो फलों का राजा है। स्वाद में बेहद मीठा और रसीला है। ये तो एक ही दस पर भारी है। प्रयोगशील और प्रगतिशील किसान राजेश इटनकर ने अपने आईफार्म में आम के पेड़ उगाए हैं। जिसमें इन दिनों 1 किलो से अधिक वजन के आम लगे हैं। इस आम का नाम है कलेक्टर
यदी आप ये आम खाना चाहते हैं, तो प्रति किलो 300 रुपए चुकाने होंगे
अमूमन किसी भी प्रजाति के आम का वजन 500 ग्राम से अधिक नहीं होता, लेकिन इस कलेक्टर आम का वजन एक किलो से अधिक होने के कारण इसे देखने वालों की भीड़ जुट रही है। आरमोरी मार्ग पर विभिन्न प्रजातियों के फलों की एक बगिया तैयार की गई है। जिसे आईफार्म का नाम दिया है। करीब दस वर्ष पहले शुरू किया गया उनका एक प्रयास रंग लाया, जो दूसरे किसानों के लिए भी मार्गदर्शक साबित हो रहा है।
इस बगिया में उन्होंने अनेक प्रकार के आम के पेड़ लगाए हैं। जिसमें दशहरी, केसरी, नीलम, मलिका, लंगड़ा समेत कलेक्टर आम भी शामिल है। आम के अलावा इस बगिया में विभिन्न प्रजातियों के अन्य फलों के पेड़ भी मौजूद हैं। कलेक्टर आम के पेड़ को इस वर्ष पहली बार ही फल लगे हैं।
देखा जाए तो किसी भी आम का वजन एक किलो नहीं होता, लेकिन कलेक्टर आम का वजन एक किलो से भी अधिक है। स्वाद में काफी मीठा होने के कारण इसे चखने के लिए हर कोई उत्साहित है। इसके बागबान पर जिले के अन्य किसानों को भी इस तरह की खेती के लिए प्रेरणा दे रहे हैं।
कहां से आया कलेक्टर आम?
अंग्रेजों के जमाने में गड़चिरोली इस्ट गोदावरी जिले में था। उस दौरान मुख्यालय सिरोंचा था। सिरोंचा में ब्रिटिश सरकार के कलेक्टर के रूप में ग्लासफोर्ड को नियुक्त किया गया था। जिलाधीश ग्लासफोर्ड ने ही इंग्लैंड से एक आम का पौधा लाया था। जिसे सिरोंचा में रोपा गया था। इसके बाद भारत स्वतंत्र हुआ, अंग्रेज तो चले गए, लेकिन आम की ये प्रजाती छोड़ गए, जब इसका पौधा बड़ा हुआ और इसमें आग लगने लगे, तो आम आकार में काफी बड़े थे। डेढ़ किलो से अधिक वजन होने से लाेगों को आम काफी पसंद आने लगा। स्थानीय लोगों ने ही इस आम को कलेक्टर नाम दिया था।
सिरोंचा से ही इस आम की एक कलम किसान इटनकर ने अपने बगिया में लगा दी। जिसमें एक किलो से अधिक के वजनी आम लगने शुरू हुए हैं। वर्तमान में आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित जिले में कलेक्टर चर्चा का विषय बना हुआ है।
यह मेहनत का नतीजा
राजेश इटनकर, प्रगतिशील किसान के मुताबिक दस वर्ष पूर्व आरमोरी मार्ग पर एक छोटी सी बगिया लगाई थी। जिसमें विभिन्न प्रकार के पेड़ और पौधे लगाए गए। आज बगियां के पेड़ बड़े हो गए हैं। कद्दू के आकार का सोलान नींबू, एप्पल, बेर समेत अब कलेक्टर आम लोगों के मन में घर कर रहा है। जो अब यहां रोजगार का अच्छा साधन बन चुका है।
Created On :   2 Jun 2022 8:38 PM IST