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हाईकोर्ट ने सरकार से कहा, पता लगाओ कैसे काम करती है किडनी प्रत्यारोपण कमेटी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इसका पता लगाए कि किडनी प्रत्यारोपण को लेकर अस्पतालों में बनाई गई कमेटी कैसे काम करती है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सरकार अस्पताल आधारित कमेटी के कामकाज को लेकर व्यवहारिक समाधान निकाले। शुक्रवार को जस्टिस अभय ओक और जस्टिस एके मेनन की खंडपीठ ने महानगर निवासी सिद्धांत पाल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। खंडपीठ ने कहा कि सरकार बिना सूचना के अस्पतालों से किडनी प्रत्यारोपण को लेकर आकड़े मंगाए। ताकि यह साफ हो सके कि वहां कि अस्पताल आधारित कमेटी काम कर रही है की नहीं।
कैसे काम करती हैं किडनी प्रत्यारोपण कमेटी?
पिछले दिनों सरकार ने हाईकोर्ट को सूचित किया था कि जिन अस्पतालों में सालाना 25 से कम किडनी प्रत्यारोपण होते हैं, ऐसी अस्पतालों की कमेटी को काम नहीं करने दिया जाएगा। खंडपीठ ने कहा कि यदि किसी अस्पताल में तीन महीने में 23 किडनी प्रत्यारोपण किए जाते हैं और सालभर कुछ नहीं होता, तो क्या ऐसी अस्पतालों की कमेटी को काम करने दिया जाएगा? ऐसे कई सवाल भविष्य में सामने आ सकते हैं, इसलिए सरकार अस्पताल आधारित प्राधिकृत कमेटी के कामकाज के लिए तर्कसंगत तरीका खोजे। इसके साथ ही इस बात का पता लगाए की देश के दूसरे राज्य इस विषय पर कैसे काम कर रहे है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया निर्देश
इस बीच मामले की न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रहे अधिवक्ता उदय वारुंजकर ने कहा कि यदि हम इस बात का पता लगाए कि किस इलाके में किडनी प्रत्यारोपण के ज्यादा मामले हो रहे है फिर उस आधार पर अस्पताल आधारित कमेटी को प्रधिकृत करे तो बेहतर हो सकता है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी ने कहा कि हम इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है। अस्पताल की कमेटी को लेकर हम लोगों को जागरुक बना रहे हैं। इसके साथ ऐसे जरुरी कदम उठा रहे हैं जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी कमेटी अवैध रुप से काम न करे। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 19 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   8 Dec 2017 9:22 PM IST