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मेडिकल पाठ्यक्रम के एडमिशन फार्म में गलती करने वाले छात्रों को HC से नहीं मिली राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने उन 22 स्टूडेंट्स को राहत देने से इंकार कर दिया है, जिन्होंने मेडिकल एडमिशन का फार्म भरने में गलती की थी। विद्यार्थियों ने याचिका में दावा किया था कि उन्होंने दाखिले के लिए गलती से राज्य की बजाय अप्रवासी भारतीयों(NRI) के कोटे में क्लिक कर दिया था। फार्म भरने के लिए राज्य कोटे के लिए ‘ए’ का विकल्प दिया गया था, जबकि NRI कोटे के लिए ‘एन’ का विकल्प दिया गया था। इन स्टूडेंट्स ने एडमिशन के लिए कोटे की जगह एस की बजाय एन का बटन दबा दिया था। जिसके चलते इन विद्यार्थियों को NRI कोटे से मेडिकल कालेज में सीट आवंटित कर दी गई। याचिका में स्टूडेंट्स ने कहा था कि वे मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। इसलिए वे NRI कोटे के तहत मिली सीट की फीस का वहन नहीं कर सकते है। लिहाजा उन्हें राज्य के कोर्ट में समावेशित करके प्रवेश दिया जाए अभी प्रवेश का अंतिम दौर चल रहा है।
ऐसी गलती अपेक्षित नहीं
जस्टिस भूषण गवई व जस्टिस एमएस कर्णिक की बेंच के सामने याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बेंच ने कहा कि स्टूडेंट्स से फार्म भरने में गलती हुई है। कोटे के विकल्प की जगह स्टूडेंट्स एस की बजाय एन को चुन लिया। याचिका दायर करने वाले कई स्टूडेंट आरक्षित वर्ग व मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। वे NRI कोटे की फीस का वहन नहीं कर सकते हैं। बेंच ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ताओं ने नियोजित तरीके से कोटे से जुड़ा जोखिम लिया है। वहीं एडमिशन से जुड़े सीईटी सेल की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता श्रीनिवास पटवर्धन ने कहा कि यदि अब इन बच्चों को स्टेट कोटे में समाहित किया जाता है तो दूसरे छात्रों के साथ अन्याय होगा और उनके दाखिले भी प्रभावित हो सकते हैं। मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के इच्छुक स्टूडेंट्स से ऐसी गलती अपेक्षित नहीं है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया और स्टूडेंट्स को राहत प्रदान करने से इंकार कर दिया।
Created On :   25 Aug 2018 5:41 PM IST