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ऑनलाइन आवेदन न करने वालों को कोरोना मुआवजा देने आनकानी करने पर नाराजगी

डिजिटल डेस्क, मुंबई।ऑनलाइन आवेदन न करने के चलते कोरोना संक्रमण के चलते जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 50 हजार का मुआवजा देने में आनाकानी को लेकर बांबे हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। कई लोगों ने शिकायत की है कि सीधे आवेदन करने वालों को मुआवजा देने से इनकार किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की खंडपीठ प्रमेया वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें व्यक्तिगत रुप से पहुंचकर या डाक के जरिए मुआवजे के लिए आवेदन करने वालों को भी मुआवजा देने की मांग की गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकर ने गाइडलाइन जारी की है जिसके मुताबिक राज्य सरकारों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष से कोरोना के चलते जान गवाने वाले परिजनों को 50-50 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाना है। वकील सुमेधा राव ने अदालत को बताया कि महाराष्ट्र सरकार के ऑनलाइन पोर्टल बनाने से पहले झुग्गियों में रहने वाले कई लोगों ने जिलाधिकारी कार्यालय में जाकर आवेदन कर दिया था। ऐसे ज्यादातर लोग बेहद गरीब हैं लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऑनलाइन आवेदन करने वालों को भी कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। मुंबई महानगर पालिका के वकील ने बताया कि महानगर में 34159 लोगों ने आवेदन किया था जिनमें से 16818 को मंजूरी दे दी गई है। सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने कहा कि ऑनलाइन आवेदन से सीधे लोगों के खाते में पैसे पहुंच रहे हैं। याचिकाकर्ता इस मामले में लोगों को ऑनलाइन आवेदन में मदद कर सकते हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने कहा कि तकनीकी आधार पर लोगों की राहत नहीं रोकी जानी चाहिए। इस पर कंथारिया ने कहा कि निर्देशों का पालन किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई गुरूवार को होगी।
Created On :   24 Jan 2022 11:54 PM IST