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दो साल बाद भी दिव्यांगों के लिए योजना तैयार नहीं कर सकी सरकार : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने दिव्यांगों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाने में हो रही देरी को लेकर अप्रसन्नता जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह योजनाएं साल 2016 में ही बना लेनी चाहिए थी, लेकिन दो साल की देरी के बाद भी दिव्यांगों के लिए योजनाएं तैयार करने का काम पूरा नहीं हुआ है। सरकार को पर्सन विथ डिसेबिलिटी कानून की धारा 37 के तहत दिव्यांगों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाना जरुरी है। गुरुवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व जस्टिस गिरीष कुलकर्णी के सामने सरकारी वकील जीडब्लू मैटोस ने कहा कि कल्याणकारी योजानाओं को लेकर सभी विभागों से राय ले ली गई है।
राज्य के सामाजिक न्याय विभाग ने इस विषय को लेकर अपना एक प्रस्ताव राज्य के मुख्य सचिव कार्यालय को सौप दिया है। अब जल्द ही इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल की बैठक में रखा जाएगा। लिहाजा सरकार को चार सप्ताह का समय दिया जाए। दिव्यांगों के लिए एक एक्शन प्लान भी तैयार करने की प्रक्रिया जारी है। जिसके तहत कल्याणकारी योजनाओं में दिव्यांगो को आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
इस पर बेंच ने कहा कि यह मामला काफी समय से चल रहा है सरकार को पर्सन विथ डिसेबिलिटी कानून 2016 के तहत दिव्यांगों के लिए कल्याणकारी योजनाए बनाना आवश्यक है। इस मामले में दो साल का विलंब पहले ही हो चुका है। हम सरकार को और चार सप्ताह का समय नहीं दे सकते। बेंच ने सोमवार को इस मामले की पैरवी के लिए राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को बुलाया है। बेंच के सामने इस विषय को लेकर आल इंडिया हैंडिकेप्ट नामक संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है।
याचिका में दावा किया गया है कि नियमानुसार सभी स्थानीय निकायों को अपने बजट की तीन प्रतिशत राशि दिव्यांगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के लिए रखने प्रावधान है लेकिन कई स्थानीय निकाय के बजट में तीन प्रतिशत राशि विकलांगों के लिए नहीं रखी जाती है। जहां इस निधि का प्रावधान भी किया जाता है तो उसका इस्तेमाल नहीं किया जाता। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 1 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   27 Sept 2018 7:32 PM IST