गृहमंत्री के खिलाफ CBI जांच की मांग से जुड़ी पूर्व मंबई पुलिस आयुक्त की याचिका पर 31 मार्च को सुनवाई

Hearing on March 31 on the petition of the former Mumbai Police Commissioner seeking a CBI inquiry
गृहमंत्री के खिलाफ CBI जांच की मांग से जुड़ी पूर्व मंबई पुलिस आयुक्त की याचिका पर 31 मार्च को सुनवाई
गृहमंत्री के खिलाफ CBI जांच की मांग से जुड़ी पूर्व मंबई पुलिस आयुक्त की याचिका पर 31 मार्च को सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि वह पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह की ओर से राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर बुधवार यानी 31 मार्च 2021 को सुनवाई करेगी। याचिका में सिंह ने दावा किया है कि गृहमंत्री ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को बार व रेस्टोरेंट से सौ करोड़ रुपए की वसूल करने को कहा था। सिंह ने 25 मार्च को यह याचिका दायर की है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। सिंह की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम ननकानी ने याचिका का उल्लेख करते हुए इस पर तत्काल सुनवाई करने का आग्रह किया। खंडपीठ ने याचिका पर गौर करने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका में जो मांग की है, उसके मद्देनजर क्या यह सुनवाई योग्य है इस सवाल के जवाब में अधिवक्ता ननकानी ने कहा कि उनकी मुख्य मांग याचिका पर राज्य के मंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच सीबीआई से कराने की है। उन्होंने कहा कि यह याचिका पूरी तरह से सुनवाई योग्य है। वे इससे संबंधित खंडपीठ के सभी सवालों का जवाब देगे और संतुष्ट भी करेंगे। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी। 

सस्ती लोकप्रियता के लिए दायर की जाती है ऐसी याचिका-हाईकोर्ट

इधर हाईकोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने इसी विषय पर याचिका दायर करनेवाली एक महिला वकील को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटाले की खंडपीठ ने कहा कि अक्सर इस तरह की याचिका सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए दायर की जाती है। अधिवक्ता जय पाटील ने देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच का निर्देश देने व पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह की इस मामले में भूमिका की जांच करने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका को देखने के बाद खंडपीठ ने कहा कि अक्सर ऐसी याचिकाएं प्रचार पाने के लिए दायर की जाती है जो स्वीकार योग्य नहीं है। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर उनका इस मामले में याचिका दायर करने का क्या अधिकार है। 

इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि यह याचिका ठीक से नहीं तैयार की गई है। इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के सामने भी परमवीर सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। इस पर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को कहा कि आपके पार कानून में डाक्टरेट की डिग्री है। इसलिए आपको अपने ढंग से यह याचिका तैयार करनी चाहिए थी न की सिर्फ गृहमंत्री व पुलिस आयुक्त के बीच के संवाद को हूबाहूब उतारना चाहिए था। खंडपीठ ने फिलहाल सिंह व पाटील की याचिका को एकात्रित करने का निर्देश दिया है। 

गौरतलब है कि शुरुआत में सिंह ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीर स्वरुप का बताया था किंतु सुनवाई करने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने श्री सिंह को अपनी शिकायत को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का निर्देश दिया था। इसके तहत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। 

याचिका में सिंह ने दावा किया है कि मामले से जुड़े सीसीटीवी फुटेज  व सबूत नष्ट किए जा सकते है। इसलिए तुरंत मामले की जांच का निर्देश देना जरुरी है। याचिका में सिंह ने गृहमंत्री पर पुलिस के कामकाज में दखल देने व जांच में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। याचिका में सिंह ने कहा है कि गृहमंत्री सीधे कनिष्ठ अधिकारी को अपने बगले में बुलाते थे। और उन्हें निर्देश देते थे। 

याचिका में सिंह ने आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला द्वारा गृहमंत्री पर तबादले व पोस्टिंग में भ्रष्टाचार होने के संबंध में किए गए खुलासे का भी जिक्र किया है। सिंह ने याचिका में कहा है कि वाझे ने उन्हें गृहमंत्री द्वारा दिए गए सौ करोड़ रुपए की वसूली को लेकर कही गई बात की जानकारी दी थी। याचिका में सिंह ने कहा पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई की जांच जरूरी है। 

    

Created On :   30 March 2021 6:05 PM IST

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