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फायर सर्विस के महत्वपूर्ण पद रिक्त होने से हाईकोर्ट नाराज, कहा-मराठी से ज्यादा लोगों की सुरक्षा जरुरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अग्निशमन निदेशक (फायर सर्विस) जैसे महत्वपूर्ण पद को पांच साल से रिक्त रखने पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि आग की रोकथाम और जीवन रक्षक उपाय मराठी के ज्ञान से ज्यादा जरुरी है। इससे पहले कोर्ट को यह बताया गया कि उन्हें अग्निशमन निदेशक पद के लिए उपयुक्त लोग नहीं मिल रहे हैं। क्योंकि इस पद के लिए निर्धारित पात्रता में मराठी का ज्ञान भी एक शर्त रखी गई है। मुंबई के मुख्य अग्निशमन अधिकारी को साल 2014 से निदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। इससे नाराज खंडपीठ ने कहा कि मुंबई के अग्निशमन अधिकारी के पास मुंबई को लेकर काफी जिम्मेदारियां हैं। ऐसे में वह निदेशक पद के प्रभार को कैसे संभालेगा।
मराठी ज्ञान के अभाव में नहीं मिल रहे योग्य व्यक्ति
खंडपीठ ने कहा कि निदेशक महाराष्ट्र फायर प्रिवेंशन एंड लाइफ सेविंग मेजर कानून 2006 को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। निदेशक की चिंता सिर्फ मुंबई की बहुमंजिला इमारतों तक सीमित नहीं रहती है। इस दौरान खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को आश्वस्त करने को कहा कि अग्निशमन निदेशक पद पर जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए। ताकि महाराष्ट्र फायर प्रिवेंशन एंड लाइफ सेविंग मेजर कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। महानगर निवासी डाक्टर शर्मिला घूघे ने इस विषय पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। जिसमे दावा किया गया है कि महाराष्ट्र फायर प्रिवेंशन एंड लाइफ सेविंग मेजर कानून को कडाई से लागू नहीं किया जा रहा है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   7 Feb 2020 7:46 PM IST