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हाईकोर्ट : गटर साफ करनेवाले सफाई कर्मचारियों की मौत पर जवाब तलब, अवैध स्कूली वाहन पर नकेल जरूरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मेनहोल में घुसकर गटर साफ करते समय जान गंवानेवाले सफाई कर्मचारियों के मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। पेशे से वकील अभा सिंह ने इस विषय पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। मंगलवार को यह याचिका न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति सुरेंद्र तावडे की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता ईशा सिंह ने कहा कि मुंबई व ठाणे के अलग-अलग इलाकों में इस साल मेनहोल में घूस कर गटर की सफाई करते समय 13 सफाई कर्मचारियों की मौत हुई। इन सफाई कर्मचारियों की मौत नाना चौक, पनवेल, मीरारोड,नालासोपारा व ठाणे इलाके में हुई है। अधिवक्ता सिंह ने कहा कि स्थानीय निकाय(मुंबई महानगरपालिका) सफाई कर्मचारियों से जुड़े कानून को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर रही है। नियमानुसार सिर्फ आपात स्थिति में ही इंसान को मेनहोल में घूसने के लिए कहा जा सकता है। इसके लिए सुरक्षा से जुड़े सारे मानकों का पालन किया जाना जरुरी है। उन्होंने कहा कि गटर में घूसकर सफाई के दौरान जान गंवाने के मामले में किसी के खिलाफ मामला तक नहीं दर्ज किया जाता है। स्थानीय निकाय की ओर से कार्य के दौरान जान गंवानेवाले सफाई कर्मचारियों को कोई मुआवजा तक नहीं दिया जाता है। सफाईकर्मचारियों से जुड़े मुद्दे को देखने के लिए कमेटी तक गठित नहीं की गई है। इस दौरान अतिरिक्त सरकारी वकील जयेश याज्ञनिक ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सफाई कर्मचारी की मौत के मामले में कार्रवाई की जाती है। इस मामले में सभी नियमों का पालन किया जा रहा है। इसलिए इस याचिका पर सुनवाई न की जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने सरकारी वकील को याचिका में उठाए गए मुद्दे को लेकर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 24 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
अवैध रुप से चल रहे स्कूली वाहनों के खिलाफ विशेष जांच अभियान जारी रखे सरकार
राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि अवैध स्कूल वाहनों के खिलाफ राज्य भर में चलाए गए अभियान के दौरान 3213 वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। सैकड़ो वाहनों को भी जब्त भी किया गया है। और उनसे जुर्माना वसूला गया। अवैध रुप से चलनेवाले जिन स्कूली वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है उसमें आटोरिक्शा कुछ दुपहिया वाहन व अन्य वाहन शामिल है । जिसमें क्षमता से अधिक बच्चों को बीठाया गया था। कई दुपहिया वाहनों में विद्यार्थियों को बिना हेल्मेट के विद्यार्थियों को बीठाया गया था। जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी की ओर से इस संबंध में एक रिपोर्ट सौपी गई। जिसमें सरकार के परिवहन विभाग की ओर से 25 नवंबर से 10 दिसंबर 2019 के बीच अवैध स्कूली वाहनों के खिलाफ चलाए गए विशेष जांच अभियान की जानकारी दी गई। रिपोर्ट में साफ किया गया है कि बिना बीमा,सुरक्षा से जुड़े नियमों व बिना जरुरी अनुमति व लाइसेंस के बगैर चलनेवाले अवैध वाहनों व वाहनचालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। जिसके तहत वाहन मालिकों से जुर्माना वसूला गया है। कई वाहन जब्त किए गए है। हाईकोर्ट में पैरेंट्स टीचर्स एसोसिएशन(पीटीए) की ओर से दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मांग की गई है कि स्कूली बच्चों को लाने व ले जानेवाला वाहनों को सुरक्षा से जुडे़ नियमों व मोटर वेहिकल कानून से जुड़े कानून का पालन करने का निर्देश दिया जाए। राज्य सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सरकार का परिवहन विभाग अवैध रुप से चलनेवाले स्कूली वाहनों के खिलाफ अपना विशेष जांच अभियान जारी रखे। यह कहते हुए खंडपीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
पर्यावरण की चिंता पर ट्रेन में सफर करते समय जान गंवानेवालों के हित को भी देखना जरुरी
बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि हमे पर्यावरण की चिंता है पर हमे मुंबई से सटे इलाकेइस में मेट्रो चलने से यात्रियों को होनेवाले लाभ का भी ध्यान रखना है। इस दौरान कोर्ट ने लोकल ट्रेन से गिरने के चलते जान गंवानेवालों को लेकर चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने यह बात मेट्रो 4 प्रोजेक्ट (ठाणे-वडाला) के लेकर दी गई अनुमति के विरोध में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में मांग की गई है कि मेट्रो चार को एलेवेटेड बनाने की बजाय भूमिगत बनाया जाए। इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट के लिए मुंबई महानगर प्रदेश प्राधिकरण ने इस संबंध में पर्यावरण से संबंधी जरुरी मंजूरी नहीं ली है। सामाजिक कार्यकर्ता रोहित जोशी ने इस संबंध में जनहित याचिका दायर की है। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता गायात्री सिंह ने कहा कि मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए 36 पेड़ काटे जाना प्रस्तावित है। जबकि 900 वृक्षों को ट्रांसप्लांट(पुनररोपित) करने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि वृक्षों के ट्रांसप्लांट के ज्यादातर मामलों में असफलता हाथ लगती है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि मेट्रो प्रोजेक्ट से जन सुविधा जुड़ी है। सड़कों पर वाहनों की भीड़ के मद्देनजर जनहित में मेट्रो प्रोजेक्ट तैयार किया गया है हमे पर्यावरण की चिंता है लेकिन हमे उन यात्रियों के हित की भी चिंता है जो ट्रेन में सफर के दौरान भीड़ से भरी लोकल ट्रेन में गिरने के चलते जान गंवाते है। खंडपीठ ने कहा कि आम आदमी का हित उनके सामने नहीं रखा गया है। इसलिए उन्हें उसके हित का ख्याल रखना है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 19 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। इस बीच मेट्रो से जुड़े मामले को देखने के लिए हाईकोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने मेट्रो तीन प्रोजेक्टर के दौरान ट्रांसप्लांट(पुनररोपित) 74 प्रतिशत पेड़े के मृत होने की बात जानने के बाद नाराजगी जाहिर की है। और अगली सुनवाई के दौरान मुंबई वृक्ष प्राधिकरण के अध्यक्ष को कोर्ट में तलब किया है।
Created On :   17 Dec 2019 8:54 PM IST