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ईरानी शराणार्थी के मामले पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक ईरानी शरणार्थी की ओर से दायर याचिका पर केंद्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। हाईकोर्ट ने सरकार को साफ करने को कहा है कि शरणार्थी को लेकर क्या नियम बनाए हैं। जस्टिस नरेश पाटील और जस्टिस नितिन सांब्रे की खंडपीठ ने 8 जनवरी तक केंद्र सरकार को अपने जवाब से अवगत करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने यह निर्देश ईरानी शराणार्थी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
ईरान जाने पर जताया जान को खतरा
याचिका में ईरानी 30 वर्षीय शारणार्थी इकबाल शेख (परिवर्तित नाम) ने दावा किया है कि वह बचपन में अपने परिवार के साथ 2001 में भारत आ गया था। अब यदि उसे दोबारा ईरान भेजा गया, तो उसकी जान को खतरा हो सकता है। इस खतरे के लिए शराणार्थी शेख ने अपने पिता के ओशो के संबंध में उनके लेखन को जिम्मेदार ठहराया है। इसलिए फॉरेन रिजनल रजिस्ट्रेशन आफिस (एफआरआरओ) को उन्हें ईरान भेजने से रोका जाए।
कनाडा जाने के लिए दिया था आवेदन
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील क्रांति एलसी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने कनाडा जाने के लिए आवेदन किया है। इस आवेदन को सैद्दांतिक मंजूरी मिल गई है। इसलिए जब तक आवेदन पर अंतिम निर्णय नहीं ले लिया जाता। तब तक यहां से न निकाला जाए। उन्होंने कहा कि वक्किल के पास युनाइटेड नेशन कमीशन फार रिफ्यूजी की ओर से जारी किया गया कार्ड है। उनके पिता नेपाल में है।
खंडपीठ ने केंद्र सरकार को रुख स्पष्ट करने को कहा
सरकारी वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को भारत छोड़ने का नोटिस जारी किया है। क्योंकि अवैध रुप से वह पुणे में रह रहा है। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने केंद्र सरकार को इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। तब तक पुलिस ईरानी शरणार्थी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी। क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने उसे संरक्षण प्रदान किया है।
Created On :   22 Dec 2017 9:23 PM IST