कैदियों को भी जीवन का अधिकार, हाईकोर्ट ने पूछा - क्या सरकार टीके का कुछ हिस्सा कैदियों को दे सकती है

High Court asked - can the government give some part of the vaccine to the prisoners
कैदियों को भी जीवन का अधिकार, हाईकोर्ट ने पूछा - क्या सरकार टीके का कुछ हिस्सा कैदियों को दे सकती है
कैदियों को भी जीवन का अधिकार, हाईकोर्ट ने पूछा - क्या सरकार टीके का कुछ हिस्सा कैदियों को दे सकती है

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या वह केंद्र से मिलने वाले कोरोना रोधि टीके का कुछ हिस्सा जेल में बंद कैदियों के लिए आवंटित कर सकती हैं। क्योंकि कैदियों को भी जीवन का अधिकार है। हाईकोर्ट ने जेल में कैदियों को कोरोना से बचाने से जुड़े मुद्दे का स्वयं संज्ञान लिया है। और उसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया है। गुरुवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र सरकार से गुरुवार को दो लाख टीके मिलने वाले है क्या इसमें से कुछ हिस्सा कैदियों को आवंटित किया जा सकता है। खड़पीठ ने कहा कि हमे उम्मीद है कि सरकार कुछ हिस्सा कैदियों के लिए आवंटित करेंगी। जिससे पात्र कैदियों को कोरोना का टीका मिल सके।इससे पहले सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने कहा कि जेल में कोरोना को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे है। सरकार ने सात अतिरिक्त अस्थायी बनाई है। जुलाई के अंत तक जेल के मेडिकल स्टाफ के मंजूर पद को भरने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएगे। 
वहीं मामले की न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रहे  वरिष्ठ अधिवक्ता मिहीर देसाई ने कहा कि कैदियों 12 हजार 500 अंतरिम जमानत के  आवेदन  निचली अदालत में सुनवाई के लिए प्रलंबित हैं। इन आवेदनों पर शीघ्रता से सुनवाई का निर्देश दिया जाए। जिससे जेल में भीड़ को कम किया जा सके। खंडपीठ ने फिलहाल याचिका पर सुनवाई 2 जून 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है। और सरकार को हलफनामा दायर करने को कहा है। 

हाई कोर्ट ने बुजुर्गों को घर घर जाकर टीका देने केन्द्र सरकार को पुनर्विचार करने को कहा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि क्या केंद्र के पास ऐसा कोई आंकड़ा है जो दर्शाए की लोगों पर टीके का विपरीत असर पड़ा है और टीका लेने के बाद व्यक्ति की मौत हो गई है। हाईकोर्ट ने बुजुर्गों को घर घर जाकर टीका देने को लेकर केंद्र सरकार की हिचकिचाहट को देखते हुए यह बात कही। इसके साथ ही केंद्र सरकार को एक बार फिर इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने को कहा।  सरकार की विशेषज्ञ कमेटी के मुताबिक घर पर टीका देने से जातिलाए हो सकती हैं। इसलिए घर पर जाकर टीका दे पाना सम्भव नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में  केंद्र सरकार के अधिकारियों की असंवेदनशीलता दिख रही है। इससे पहले मुंबई महानगरपालिका ने भी घर घर टीका करने को लेकर अनिच्छा दर्शायी। मनपा ने कहा कि वह इस बारे में केंद्र सरकार के दिशा निर्देश आने के बाद ही टीकाकरण की दिशा में कदम उठा सकेंगी। इस तरह खंडपीठ ने कहा कि इस विषय पर हम केंद्र व मनपा के रुख से निराश व मायूस है। खंडपीठ ने फिलहाल केंद्र सरकार द्वारा गठित नेशनल एक्सपर्ट ग्रूप फ़ॉर वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कोविड19 को बुजुर्गों,व दिव्यांगों  के टीके के विषय पर पुनर्विचार करने को कहा है। औऱ याचिका पर सुनवाई 2 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। 


हाई कोर्ट की अवकाश कालीन खंडपीठ ने की लगातार 12 घंटे सुनवाई

वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट की एक अवकाशकालीन खंडपीठ ने बुधवार को लगातार 12 घंटे सुनवाई की है। न्यायमूर्ति एस जे काथा वाला व न्यायमूर्ति एसपी तावड़े ने सुबह दस बज कर 45 मिनट पर ऑनलाइन सुनवाई की शुरूआत की थी। जो बिना रुकावट के रात को सवा 11 बजे तके चली।  इस दौरान खंडपीठ ने 80 मामले सुने। जिसमे भीमा कोरेगांव मामले के आरोपियों सहित राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख से जुड़े मामलों  को लेकर दर्ज एफआईआर का समावेश था। यह पहला मौका नहीं है जब न्यायमूर्ति काथावाला ने कोर्ट के निर्धारित समय से अधिक वक़्त तक रात 11 बजे तक सुनवाई की है।  इससे पहले मई 2018 में न्यायमूर्ति ने रात साढ़े तीन बजे तक सुनवाई की थी।

Created On :   20 May 2021 10:08 PM IST

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