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हाईकोर्ट का मजीद से पूछा - आसपास की तकलीफें छोड़ मदद करने सीरिया ही क्यों गए
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने गुरुवार सीरिया से लौटे युवक अरीब मजीद से पूछा कि क्या उसे अपने आसपास की तकलीफे नहीं दिखी जो वह सीरिया में लोगों की मदद करने के लिए गया था, जिन्हें वह जानता तक नहीं था। कोर्ट ने कहा कि क्या आपको (आरोपी) इस बात का अंदाजा है। आपके कदम से आपके माचा-पिता को कितनी तकलीफ झेलनी पड़ी है। मजीद पर साल 2014 में सीरिया जाकर आंतकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मजीद को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में है। पिछले दिनों निचली अदालत ने मजीद को जमानत प्रदान की थी। एनआईए ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी।
गुरुवार को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की खंडपीठ के सामने एनआईए के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने मजीद की जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपी सीरिया से गलत इरादे से यहां आया है। वहीं मजीद ने दावा किया कि वह लोगों की मदद के लिए सीरिया गया था। वह किसी आतंकी गतिविधि में शामिल नहीं हुआ है। वह बहकावे में आने के बाद सीरिया चला गया था। अब यदि उसे जमानत दी जाती है तो वह कानून की पढाई करेगा और परिवार तथा देश के लिए कार्य करेगा। इस पर खंडपीठ ने कहा कि क्या आपको (मजीद) अपने आसपास तकलीफे नहीं दिखी जो सीरिया चले गए। क्या आपको कल्पना है कि आपके माता-पिता ने कितनी तकलीफे झेली होगी। खंडपीठ ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।
Created On :   4 Feb 2021 9:13 PM IST