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हाईकोर्ट ने सरकार पूछा - बताएं लूडो कौशल नहीं, किस्मत का खेल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। लूडो कौशल नहीं किस्मत का खेल है। यह घोषित किए जाने की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के पदाधिकारी केशव मुले ने अधिवक्ता निखिल मेंगड़े के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया है कि ऑनलाइन तरीके से लूडो सुप्रीम एप पर पैसे दांव पर लगा कर लोग लूडो खेल रहे हैं। जो गैम्बलिंग प्रतिबंधक कानून की धारा 3,4, व 5 के तहत आता है। इसलिए एप के परिचालन व प्रबंधन से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाए। इस मामले को लेकर पहले मैजिस्ट्रेट कोर्ट में याचिका दायर की गई थी पर मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने लूडो को कौशल का खेल मानते हुए एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने से इंकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि चार लोग पांच रुपए का दांव पर लगा कर लूडो खेलते हैं तो विजेता को 17 रुपए मिलते हैं जबकि एप चलाने वाले को तीन रुपए मिलते हैं। गुरुवार को अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एस एस शिंदे व न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान खंडपीठ ने याचिका पर गौर करने के बाद कहा कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की क्या जरूरत है। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता निखिल मेंगड़े ने कहा कि लूडो के नाम पर जुआ सामाजिक बुराई का रुप लेता जा रहा है और युवा इसकी ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। इसलिए इस पर अदालत का तत्काल हस्तक्षेप अपेक्षित हैं।
याचिका के मुताबिक लूडो का खेल उसके डाइस (पासा) के गिरने के बाद उस पर आने वाले अंकों पर निर्भर करता है। इस तरह से देखा जाए तो लूडो कौशल नहीं किस्मत का खेल है। इसलिए जब लोग इस खेल में कुछ दाव पर लगाते हैं तो यह जुआ का रुप ले लेता है। इसलिए इस परिस्थिति में इसे कौशल नहीं किस्मत का खेल माना जाए। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और याचिका पर 22 जून 2021 को सुनवाई रखी है।
निचली अदालत ने माना है कौशल का खेल
याचिकाकर्ता केशव मुले को ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने इस बारे में वीपी रोड पुलिस स्टेशन में शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने इसका संज्ञान नहीं लिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने मैजिस्ट्रेट कोर्ट में निजी शिकायत की थी। किन्तु कोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश नहीं दिया। निचली अदालत ने लूडो को कौशल का खेल माना है। इसलिए मैजिस्ट्रेट कोर्ट के 12 फरवरी 2021 के आदेश को रद्द किया जाए। और पुलिस को कार्रवाई का निर्देश दिया जाए।
Created On :   3 Jun 2021 8:38 PM IST