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दैनिक भास्कर हिंदी: हाईकोर्ट : सरकारी नौकरी में रहते नहीं लड़ सकते चुनाव, एयरपार्ट की ड्यूटी फ्री दुकानों को मिले इनपुट टैक्स क्रेडिट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नौकरी में रहते विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति मांगनेवाले एयर इंडिया के कर्मचारी को अंतरिम राहत के तौर पर चुनाव लड़ने की अनुमति देने से बांबे हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है। हालांकि इस याचिका को विचारार्थ मंजूर कर लिया गया है। याचिका में याचिकाकर्ता प्रदीप ढोबले ने एयर इंडिया एमप्लाई सर्विस रेग्युलेशन की धारा 82 की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। इस धारा के तहत ऐसा नियम है कि एयर इंडिया का कर्मचारी सेवा में रहते किसी भी राजनीतिक व सांप्रदायिक संगठन से नहीं जुड़ सकता और उसकी गतिविधियों में भी शामिल नहीं हो सकता। इस धारा के अंतर्गत संसद, विधानसभा व स्थानीय निकाय के चुनाव में हिस्सा लेने पर भी रोक लगाई गई है। याचिकाकर्ता ने पहले अपने नियोक्ता से लोकसभा चुनाव लड़ने की अनुमति मांगी थी। इसके बाद िवधान सभा चुनाव लड़ने की इजाजत मांगी। किंतु 3 अप्रैल 2019 को नियोक्ता यानी एयर इंडिया ने उसे चुनाव लड़ने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता उदय वारुंजकर ने दावा किया कि चुनाव लड़ना कानूनी व संवैधानिक अधिकार है। नियोक्ता द्वारा चुनाव लड़ने पर लगाई गई पाबंदी बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है। इसलिए इस पाबंदी को अमान्य कर दिया जाए। क्योंकि जनप्रतिनिधित्व कानून सार्वजनिक उपक्रमो में कार्यरत लोगों को चुनाव लड़ने से नहीं रोकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव लड़ना संवैधानिक अधिकार है। ऐसे में एयर इंडिया की सर्विस से जुड़ा कानून कैसे इस अधिकार को नियंत्रित कर सकता है। वहीं एयर इंडिया की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी नौकरी छोड़कर लोकसभा व विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहे तो किसी को कोई आपत्ती नहीं है। नौकरी में रहते हुए धारा 82 के चलते यह संभव नहीं है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में बहस योग्य प्रश्न उपस्थित किए गए हैं। इसलिए हम याचिका को विचारार्थ मंजूर करते हैं। खंडपीठ ने कहा कि नियमानुसार किसी अधिनियम पर रोक नहीं लगाई जा सकती । इस मामले में याचिकाकर्ता को राहत देने का अर्थ धारा 82 पर रोक लगाने जैसा होगा। इसलिए हम याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने से इंकार करते हैं।
इंटरनेशनल एयरपार्ट की ड्यूटी फ्री दुकानों को मिले इनपुट टैक्स क्रेडिट
वहीं बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में साफ किया है कि मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्थित ड्यूटी फ्री शॉप इनपुट टैक्स क्रेडिट पाने के लिए पात्र है। इनपुट टैक्ट क्रेडिट भुगतान किए गए कर पर मिलनेवाली छूट की व्यवस्था है। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने फ्लेमिंगो रिटेल ट्रेवल लिमिटे़ड की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। ड्यूटी फ्री दुकान में चाकलेकट, परफ्यूम, कास्मेटिक व शराब बेची जाती है । यह दुकाने मूल रुप से विदेश आने व जानेवाले यात्रियों की जरुरतों को पूरा करती है। खंडपीठ ने साफ किया है कि यदि इन दुकानों के मालिको को इनपुट टैक्स क्रेडिट से वंचित किया जाएगा तो इससे न सिर्फ विदेशी व्यापार प्रभावित होगा बल्कि विदेशी मुद्रा के संवर्धन व सरंक्षण पर भी असर पड़ेगा। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ड्यटी फ्री दुकाने एक तरह से निर्यातक की श्रेणी में आती है क्योंकि यहां समान खरीदने वाले उनका इस्तेमाल अपने देश में जाने के बाद करते हैं। यदि किसी कारणवश वे अपने देश नहीं जा पाते है तो ऐसी स्थिति में उन्हें सामान वापस कर दुकान से रिफंड लेने की व्यवस्था भी दी गई है। एेसे में यदि इन दुकानों पर सेवा व दूसरे स्थानीय कर लगाए जाएंगे तो इससे चीजे और मंहगी होगी। याचिका में मुख्य रुप से याचिकाकर्ता ने बिक्री कर उपायुक्त के 10 जनवरी 2019 के आदेश को चुनौती दी थी। जिसके तहत याचिकाकर्ता को इनपुट टैक्स क्रेडिट देने से मना कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि देश के दूसरे इलाके में स्थित इंटरनेशनल एयरपोर्ट में बनी ड्यूटी फ्री दुकानों को इनपुट टैक्स क्रेडिट दी जाती है। ऐसे में मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्थित ड्यूटी फ्री दुकान को इनपुट टैक्स से वंचित करना वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के उद्देश के विपरीत है। यह संविधा के अनुच्छेद 286 के प्रावधानों के भी विपरीत है। क्योंकि जीएसटी ने एक राष्ट्र एक कर की व्यवस्था दी है। वहीं राज्य सरकार व केंद्र सरकार ने दावा किया था कि ड्यूटी फ्री दुकानों से ली जानेवाली चीजो का इस्तेमाल दूसरे देश में पहुंचने के बाद ही किया जाता है यह पूरी तरह से सच नहीं है। इसके अलावा ड्यूटी फ्री दुकानों को हर तरह के टैक्स से छूट नहीं दी जा सकती है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बिक्री कर उपायुक्त के 10 जनवरी 2019 के आदेश व एक नोटिस को खामीपूर्ण मानते हुए उसे रद्द कर दिया।
दोबारा पोस्टमार्टम के बाद बेटे का शव लेने को राजी हुआ पिता
इसके अलावा संदिग्ध अवस्था में मौत का शिकार हुए बेटे के शव का दोबारा पोस्टमार्टम किए जाने की शर्त पर एक पिता ने अपने बेटे का शव लेने के लिए बांबे हाईकोर्ट में रजामंदी दिखाई है। राजावाड़ी अस्पताल में किए गए पोस्टमार्टम से मृतक अंकुश के पिता आनंद पांडे संतुष्ट नहीं थे, इस लिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।याचिका में पांडे ने दावा किया गया था कि अंकुश 15 सितंबर 2019 को घर से काम के लिए निकला था। लेकिन जब वह काम से नहीं लौटा तो अंकुश से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई। 16 सितंबर को किसी अजबनी ने अंकुश का फोन उठाया। फोन पर पांडे को राजावाड़ी अस्पताल में आने के लिए कहा गया। जब पांडे राजावाड़ी अस्पताल पहुंचे तो उन्हें अपने बेटे की मौत की जानकारी मिली। इसके बाद याचिकाकर्ता को अपने बेटा का शव लेने के लिए कहा गया लेकिन याचिकाकर्ता को अपने बेटे की मौत संदिग्ध लगी। इसलिए उन्होंने विशेषज्ञों से अपने बेटे का शव पोस्टमार्ट कराने व मामले की सही तरीके से जांच कराने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
इस दौरान सरकारी वकील ने न्यायमूर्ति आरवी मोरे की खंडपीठ के सामने कहा कि राजावाड़ी अस्पताल में याचिकाकर्ता के बेटे का पोस्टमार्टम हो चुका है और पुलिस ने दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया है। घटना को लेकर पांच गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं। जिसमे से दो चश्मदीद गवाह है। एक चश्मदीद ने बाताया कि अंकुश 15 सितंबर को एक घाटकोपर इलाके में एक ताड़ी-माड़ी केंद्र में आया था। जब वह ताड़ी खरीदने आया तो वह काफी नशे में था। वह ठीक से चल नहीं पा रहा था और कुछ देर बाद वहीं पर बैठ गया फिर कुछ क्षण बाद वह अचेत हो गया। जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया। सरकारी वकील ने कहा कि फिलहाल याचिकाकर्ता के बेटे का शव राजावाड़ी अस्पताल में रखा गया है। जिसे याचिकार्ता नहीं ले रहे हैं। यदि याचिकाकर्ता सहमति दे तो शव का दोबारा पोस्टमार्ट कराया जा सकता है। इसके बाद याचिकाकर्ता को शव लेना पड़ेगा। इसके लिए याचिकाकर्ता राजी हो गए। इसके बाद खंडपीठ ने जेजे अस्पताल को शव का दोबारा पोस्टमार्टम करने का निर्देश दिया और पोस्टमार्टम के बाद याचिकाकर्ता को अपने बेटे का शव लेने के लिए कहा।
गणतंत्र दिवस : स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन में मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 74वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. डी.एस. राघव निदेशक, स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन उपस्थित थे। गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में डॉ. सत्येंद्र खरे, सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के प्रिंसिपल, डॉ. नीलम सिंह, सेक्ट कॉलेज ऑफ बीएड की प्रिंसिपल और डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी, स्कोप पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुएl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी.एस.राघव ने झन्डा फंहराया गया तथा विद्यालय के छात्र छात्राओं ने अनुशासन एवं कौशल का परिचय देते हुए आकर्षक परेड की प्रस्तुति दीl विद्यालय के बच्चों द्वारा शारीरिक व्यायाम के महत्व को प्रकट करते हुए मनमोहक पीटी प्रस्तुत की गई l
स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज, बी.एड कॉलेज, स्कोप प्रोफेशनल कॉलेज तथा स्कोप स्कूल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं देश प्रेम से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दीl कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण उरी हमले पर आधारित नृत्य नाटिका तथा रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को चित्रित करता हुआ नृत्य गीत था। मुख्य अतिथि डॉ डीएस राघव ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा के साथ करते हैं तो यही आज के समय में हमारी सच्ची देश सेवा है। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्राचार्या डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी ने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम की आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदार रहेंगे और उसके प्रति पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करेंगेl
वनमाली सृजनपीठ: बाल कलाकारों द्वारा राम भजन की मनमोहक प्रस्तुति
डिजिटल डेस्क, भोपाल। विश्वरंग के अन्तर्गत बाल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने वनमाली सृजनपीठ में रामभजन माला का आयोजन किया गया, जिसमें राम के भजनों की सुन्दर प्रस्तुति बच्चों के द्वारा दी गयी। कार्यक्रम का आरम्भ मालविका राव चतुर्वेदी के भजन- 'श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन' से हुआ। इसी कड़ी में स्वरा वत्स ने राम के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए 'राम-राम दशरथ नन्दन राम' भजन से सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मोही और जयगी ने 'राम-राम सब नाम जपो', रेखा ने राग ख्याल में छोटे 'ख्याल' और कियारा ने 'राम भजो आराम तजो', निवेदिता सोनी ने 'श्याम का गुणगान करिये ' गाकर माहौल को राममय कर दिया।
कार्यक्रम के अगले चरण में मालविका द्वारा मीराबाई का प्रसिद्ध भजन 'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो' और स्वरा ने श्याम कन्हाई गाकर राम के साथ कृष्ण भक्ति से भी परिचय कराया। बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए आईसेक्ट लिमिटेड के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने 'राम भक्त ले चला राम की निशानी' और अन्य भजन गाकर बच्चों का हौसला बढ़ाया। इसके बाद सभी बच्चों की संगीत गुरु श्यामा ने अपना स्वचरित भजन 'राम नाम सुखदायक' की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे, वनमाली सृजनपीठ भोपाल के अध्यक्ष मुकेश वर्मा, आईसेक्ट लिमिटेड के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, गेटसेट पेरेंट की निदेशक पल्लवी राव चतुर्वेदी, विश्वरंग की सहनिदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, नितिन वत्स, इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए की सम्पादक डॉ. विनीता चौबे, प्रभा वर्मा, वनमाली सृजनपीठ की राष्ट्रीय संयोजक ज्योति रघुवंशी, टैगोर विश्वकला केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय सहित बच्चों के अभिभावक और नाना-नानी, दादा-दादी भी उपस्थित रहे।
मनोरंजन: हरेक रीज़नल इंडस्ट्री की प्रतिभाओं को एक सशक्त मंच उपलब्ध कराने की कोशिश में जुटा हुआ है 'क्रिएटिव वाइब': संतोष खेर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। एस. एस. राजामौली की फ़िल्म 'RRR' के मशहूर गाने 'नातू नातू' ने गोल्डन ग्लोब्स जीतकर एक बार फिर से यह साबित कर दिया है क्षेत्रीय सिनेमा भी विश्वभर में अपनी छाप छोड़ने का दमखम रखता है. पिछले साल क्षेत्रीय सिनेमा और ओटीटी ने ऐसे दमदार कंटेट से दर्शकों को रूबरू कराया दर्शकों की उम्मीदें आसमान छूने लगी हैं. सिनेमा को नई ऊंचाई पर ले जानेवालों में कई लोग मशक़्क़त कर रहे हैं और इनमें से एक अहम नाम है प्रोडक्शन हाउस 'क्रिएटिव वाइब' का. उल्लेखनीय है भाषाओं से परे यह प्रोडक्शन हाउस देशभर में मौजूद नायाब तरह के कंटेट की संभावनाओं को खंगाल रहा है और नई-नई प्रतिभाओं को आगे आने का मौका दे रहा है।
'क्रिएटिव वाइब' के संस्थापक संतोष खेर कहते हैं कि लोग ना सिर्फ़ गुणवत्तापूर्ण कंटेट देखना चाहते हैं, बल्कि वे चाहते हैं कि विभिन्न रीजनल इंडस्ट्रीज़ से जुड़े तमाम प्रतिभाशाली लोगों को काम करने के लिए उचित मंच भी उपलब्ध कराया जाए. वे कहते हैं, "हमारे देश में ऐसे प्रतिभाशाली लोगों की कोई कमी नहीं है जो गुमनाम हैं और ऐसे लोगों के बारे में आम दर्शकों को ज़्यादा कुछ पता भी नहीं होता है. हम सृजनकर्ताओं व पेशवर लोगों को आम दर्शकों के सामने लाएंगे जिसके चलते हम दुनियाभर के सिनेमा से मुक़ाबला करने में पूरी तरह से सक्षम साबित होंगे।"
'क्रिएटिव वाइब' के लिए साल 2022 एक उल्लेखनीय साल रहा है. इस दौरान प्रोडक्शन हाउस की ओर से 'अथंग" नामक एक चर्चित मराठी हॉरर वेब सीरीज़ का निर्माण किया गया. प्रोडक्शन हाउस ने 'चंद्रमुखी' नामक भव्य मराठी फ़िल्म बनाकर लोगों को चकित किया. इसके अलावा भी कई उल्लेखनीय कंटेट का निर्माण प्रोडक्शन हाउस की ओर से किया गया है. ऐसे में अब 'क्रिएटिव वाइब' साल 2023 में हिंदी, मराठी और गुजराती भाषा में कंटेट निर्माण में ज़ोर-शोर से जुट गया है. वेब द्वारा उपलब्ध कराये जानेवाले मौकों से अच्छी तरह से परिचित संतोष खेर कहते हैं, 'वेब शोज़ की दुनिया क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट बनानेवाले मेकर्स के लिए एक बड़ी राहत बनकर आई है जिसके चलते विविध तरह के टैलेंट को अपने अद्भुत कार्यों को सामने लाने और अपनी क्षमताओं का भरपूर प्रदर्शन करने का मौका मिल रहा है. हम वेब कंटेट के माध्यम से ही नहीं, बल्कि विभिन्न भाषाओं में बननेवाली फ़िल्मों को भी एक बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचाना चाहते हैं।"
संतोष खेर इस इंडस्ट्री से जुड़े पेशेवर लोगों के साथ काम करने और उन्हें मौका देने में यकीन करते हैं. इसे लेकर वे कहते हैं, "जब कभी हम क्षेत्रीय स्तर की प्रतिभाओं की बात करते हैं तो हम महज़ कलाकारों के बारे में ही सोचते हैं. लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए किसी भी फ़िल्म/कंटेट के निर्माण में बड़े पैमाने पर अन्य लोग भी शामिल होते हैं. इनमें टेक्नीशियनों, कॉस्ट्यूम तैयार करनेवालों, लेखकों से लेकर अन्य तरह के कई और भी विभाग शामिल होते हैं जो किसी भॊ फ़िल्म को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. ग़ौरतलब है कि कैमरा के पीछे काम करनेवालों के नाम मुख्यधारा के सिनेमा द्वारा भी आसानी से भुला दिया जाता है. ऐसे में हमारा प्रोडक्शन हाउस इस स्थिति को बदलने, नये नये नामों को सामने लाने और पर्दे के पीछे काम करनेवाले लोगों को स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है ताकि ऐसे गुमनाम लोगों की भी अपनी एक अलग पहचान बन सके।"
लेकिन क्या प्रोफ़ेशनल लोगों को अपनी-अपनी इंडस्ट्री तक ही सीमित कर दिया जाएगा? इस सवाल पर संतोष खेर कहते हैं, "हमें ऐसी प्रतिभाओं को तैयार करने की ज़रूत है जो विभिन्न तरह की क्षेत्रीय इंडस्ट्रीज़ में काम कर सकें. अगर हम एक इंडस्ट्री से ताल्लुक रखनेवाली प्रतिभाओं को दूसरी इंडस्ट्री में काम करने का मौका मुहैया कराएंगे तभी जाकर हम सही मायनों में पैन इंडिया फ़िल्मों का निर्माण कर पाएंगे. हमने बड़े सुपरस्टार्स के साथ ऐसा होते हुए देखा है मगर ज़रूरत इस बात की है कि सभी भाषाओं की इंडस्ट्री से संबंध रखनेवाले कास्ट और क्रू के अन्य सदस्यों को भी इसी तरह के मौके दिये जाएं।"
प्रतिभाओं को परिष्कृत करने की सोच और पैन इंडिया सिनेमा के निर्माण का आइडिया सिनेमा के भविष्य के लिए अच्छा है, लेकिन अगर अन्य लोग भी सतोष खेर की तरह सोचने लग जाएं तो निश्चित ही वो दिन दूर नहीं है, जब सिनेमा की दुनिया जल्द ही आसमान की नई उंचाइयों को छूने लगेगी।
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