सिंचाई घोटालों की जांच से असंतुष्ट हाइकोर्ट, रिटायर्ड जज का पैनल रखेगा जांच प्रक्रिया पर नज़र

High Court disagreed with probe of irrigation scams in state
सिंचाई घोटालों की जांच से असंतुष्ट हाइकोर्ट, रिटायर्ड जज का पैनल रखेगा जांच प्रक्रिया पर नज़र
सिंचाई घोटालों की जांच से असंतुष्ट हाइकोर्ट, रिटायर्ड जज का पैनल रखेगा जांच प्रक्रिया पर नज़र

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में शुक्रवार सिंचाई घोटाले पर केंद्रित जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। वर्ष 2014 में इस प्रकरण की खुली जांच कराने के मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी अब तक एसीबी ने जांच पूरी नहीं की है। इसपर हाईकोर्ट नाराज है। इस मामले में सरकार ने अब तक जो भूमिका रखी उस पर कोर्ट ने ना सिर्फ जमकर लताड़ा, बल्कि पूरी जांच प्रक्रिया पर नज़र रखने के लिए सेवानिवृत जज का पैनल भी नियुक्त करने का फैसला लिया। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता अतुल जगताप और उनके वकील श्रीधर पुरोहित को 12 जुलाई तक सेवानिवृत जजो के नाम सुझाने को कहा है। कोर्ट ने विदर्भ विकास महामंडल को विदर्भ के लंबित सिंचाई प्रकल्पों की मौजूदा स्तिथि भी बताने के आदेश दिए हैं।

बीती सुनवाई में भी झेलनी पड़ी नाराजगी
हाईकोर्ट ने टिप्पणी कर कहा था कि अब सरकार को नींद से जाग जाना चाहिए। प्रदेश भर के सिंचाई प्रकल्पों की जांच को जल्द से जल्द पुरा करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि था मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी अगर इतनी मंद गति से जांच चलती है, तो मामूली प्रकरणों की जांच की स्थिति कैसी होगी यह समझा जा सकता है। मुख्य सचिव ने अपने शपथपत्र में बार बार जांच पुरी ना होने के पीछे कम मनुष्यबल का हवाला दिया था। 

यह है मामला
याचिकाकर्ता अतुल जगताप ने मामले में राज्य के सिंचाई विभाग, विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल, जलसंपदा विभाग और बाजोरिया कंस्ट्रक्शन्स और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार को प्रतिवादी बनाया था। याचिका में आरोप है कि कंपनी के निदेशकों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक संदीप बाजोरिया शामिल हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार से नजदीकियों के चलते कंपनी को दोनो कांट्रैक्ट मिले हैं।

याचिकाकर्ता के अनुसार, कांट्रैक्ट हथियाने के लिए कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। एसीबी ने पत्र में यह भी स्पष्ट किया कि संदीप बाजोरिया की कंस्ट्रक्शन कंपनी के पास जिगांव प्रकल्प के काम का ठेका प्राप्त करने के लिए जरूरी पात्रता नहीं थी, इसके बाद भी निरीक्षण समिति ने उसे पात्र करार दिया। वहीं, कंपनी डायरेक्टर सुमित बाजोरिया ने सरकारी अधिकारियों की मदद से अवैध तरीके से अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाया। ऐसे में एसीबी ने बाजोरिया समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

Created On :   6 July 2018 12:54 PM GMT

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