तीन साल के बच्चों को बलपूर्वक स्कूल से ले जानेवाले पिता के आचरण पर जताई नाराजगी

High court expressed displeasure over the conduct of the father
तीन साल के बच्चों को बलपूर्वक स्कूल से ले जानेवाले पिता के आचरण पर जताई नाराजगी
हाईकोर्ट तीन साल के बच्चों को बलपूर्वक स्कूल से ले जानेवाले पिता के आचरण पर जताई नाराजगी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। तीन साल के जुड़वा बच्चों को स्कूल से बलपूर्वक ले जानेवाले पिता की हरकत पर बांबे हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। इसके साथ ही कोर्ट ने  पिता को निर्देश दिया है कि वह 27 अगस्त तक बच्चों को मां को सौप दे। क्योंकि पिता ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना बच्चों को उसकी नैसर्गिक संरक्षक मानी जानेवाली मां से अलग किया है। तीन साल के बेटे व बेटी को कोर्ट में पेश करने का निर्देश देने की मांग को लेकर मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका के मुताबिक 4 जुलाई 2022 को बच्चों को स्कूल से किसी के ले जाने की जानकारी मिलाने के बाद मां ने रबाले पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में महिला ने दावा किया है कि उनकी नौकरानी ने उन्हें जानकारी दी है कि एक व्यक्ति बच्चों को जबरन आटोरिक्शा से कही लेकर चला गया है। इसके बाद जब महिला ने अपने पति से संपर्क किया। लेकिन पति ने कोई जवाब नहीं दिया।

न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने महिला की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील अरुणा पई ने कहा कि बच्चे महिला के पति के पास है और महिला की ओर से याचिका में लगाए आरोप न्यायसंगत है। मामले से जुड़े दंपति का विवाह साल 2013 में हुआ था। इस बीच दोनों के बीच मतभेद बढ गए इसलिए दोनों (पति-पत्नी) जनवरी 2022 से एक दूसरे से अलग रह रहे है। 

सुनवाई के दौरान पति की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल व याचिकाकर्ता के बीच घरेलू हिंसा के आरोपों को लेकर निचली अदालत में मामला प्रलंबित है। लिहाजा इस मामले को भी वहां देख लिया जाएगा। 4 जुलाई 2022 से बच्चे मेरे मुवक्किल (पति) के पास है।  मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने व याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में अदालत का हस्तक्षेप जरुरी है क्योंकि पिता ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना बच्चों को बलपूर्वक उनकी मां से अलग किया है। बेशर्मीपूर्ण इस कृत्य को उचित नहीं माना जा सकता है। लिहाजा पिता  27 अगस्त दोपहर तीन बजे तक बच्चों को उनकी मां को सौप दे। यदि पिता ऐसा नहीं करता है तो पुलिस इस मामले में जरुरी कदम उठाए और बच्चों को उनकी मां को सौंपे। बच्चों की कस्टडी के मुद्दे को लेकर माता-पिता उचित कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है। खंडपीठ ने अपने आदेश पर अमल की जानकारी के लिए याचिका पर सुनवाई 29 अगस्त को रखी है। 
 

Created On :   26 Aug 2022 9:37 PM IST

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