नदियों के प्रदूषण के मुद्दे पर जवाब देने हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया आखरी मौका

High Court gave a last chance to respond to the issue of pollution of rivers
नदियों के प्रदूषण के मुद्दे पर जवाब देने हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया आखरी मौका
नदियों के प्रदूषण के मुद्दे पर जवाब देने हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया आखरी मौका

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य भर की 49 नदियों के प्रदूषण को दूर करने के  मुद्दे को लेकर  राज्य सरकार व महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जवाब देने के लिए आखरी मौका दिया है। हाईकोर्ट ने 24 अप्रैल 2018 को सरकार को निर्देश दिया था कि वह आश्वस्त करे की नदियों के किनारे किसी तरह का निर्माण कार्य न हो साथ ही नदियों को प्रदूषित न किया जाए।  अपने पिछले आदेश में अदालत ने  स्पष्ट किया था कि प्राकृतिक संसाधनों का सरंक्षण करना सरकार का वैधानिक दायित्व है।

यदि नदियों का प्रदूषण जारी रहता है तो यह नागरिकों का मौलिक अधिकारों का हनन है। क्योंकि हर नागरिक को प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार है। लिहाजा सरकार अपने वैधानिक दायित्वों का निर्वहन करे ताकि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन न हो।

अदालत के 24 अप्रैल 2018 के आदेश तहत राज्य सरकार ने अब तक हलफनामा दायर नहीं किया। इसे देखते हुए खंडपीठ ने  राज्य के पर्यावरण विभाग के सचिव को जवाब देेने के लिए आखरी मौका दिया। खंडपीठ ने कहा कि अब इस मामले को लेकर जवाब देने के लिए पर्यावरण विभाग व महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को और समय नहीं दिया जाएगा।

नदियों के प्रदूषण के मुद्दे को लेकर वनशक्ति नामक गैरसरकारी संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि सरकार ने नदियों के नियमन से जुड़ी नीति को रद्द कर दिया है। लेकिन फिर दोबारा नदियों के संरक्षण को लेकर कोई नीति नहीं बनाई है।

सरकार से अपेक्षा थी कि वह नदियों के किनारे की जमीन को बचाने के लिए एक सरहद बनाएगी जहां निर्माण कार्य वर्जित हो। पर सरकार ने कुछ नहीं किया है। जिससे बेरोकटोक नदियों का प्रदूषण जारी है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 17 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी है और सरकार तथा पर्यावरण विभाग को जवाब देने के लिए आखरी मौका दिया। 

 

Created On :   3 July 2018 1:56 PM GMT

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