मालेगांव ब्लास्ट : हाईकोर्ट से एनआईए को झटका, बतौर सबूत फोटोकॉपी इस्तेमाल के फैसले पर रोक

High court gave shock to NIA in case of Malegaon bomb blast
मालेगांव ब्लास्ट : हाईकोर्ट से एनआईए को झटका, बतौर सबूत फोटोकॉपी इस्तेमाल के फैसले पर रोक
मालेगांव ब्लास्ट : हाईकोर्ट से एनआईए को झटका, बतौर सबूत फोटोकॉपी इस्तेमाल के फैसले पर रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मालेगांव बम धमाके मामले में आरोपियों व गवाहों के बयान की फोटोकापी सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को तगड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने बुधवार को फोटोकापी को सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति देनेवाले एनआईए कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। दरअसल मालेगांव बम धमाके के आरोपियों व गवाहों की मूल प्रति खो गई है। एनआईएन अब इन गवाहों की फोटोकापी को सबूत के तौर पर (सेकेंडरी इवीडेंस) इस्तेमाल कर रही है। एनआईए को कोर्ट से फोटोकापी को सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने की इजाजत भी मिल गई थी। लेकिन इसे नियमों के विपरीत होने का दावा करते हुए धमाके के आरोपी समीर कुलकर्णी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 

फोटोकापी को सबूत के तौर पर इस्तेमाल की इजाजत देनेवाले निर्णय पर लगाई रोक

न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति अजय गड़करी की खंडपीठ के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने पाया कि जिस फोटोकापी को एनआईए सबूत के तौर पर इस्तेमाल कर रही है उसकी इस बात की पुष्टि करनेवाला कोई नहीं है कि फोटोकापी गवाहों व आरोपियों के बयान के मूल प्रति से निकाली गई है। ऐसे में कानूनी रुप से फोटोकापी को सबूत के तौर पर इस्तेमाल करना उचित नहीं होगा। यदि एनआईए के पास मूल प्रति नहीं थी तो उसे पहले ही एनआईए कोर्ट में फोटोकापी को लेकर अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए थी। फोटोकापी के विषय को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई है जिससे निचली अदालत की सुनवाई पर असर पड़ता है। मालेगांव मामले की सुनवाई कोई अड़चन पैदा न हो यह देखना एनआईए का काम है। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने फोटोकापी को सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने का एनआईए कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। 

Created On :   20 Feb 2019 4:41 PM GMT

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