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फिल्म अभिनेता सलमान खान को जारी हुआ नोटिस
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने बॉलीवुड फिल्म अभिनेता सलमान खान को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने यह नोटिस खुद को फिल्म समीक्षक बतानेवाले कमाल खान की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया है। याचिका में कमाल ने मांग की है कि निचली अदालत के उस अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया जाए। जिसमें मुझे (कमाल) पर फिल्म अभिनेता सलमान खान, उनकी फिल्म व कंपनी पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने पर रोक लगाई गई है। याचिका में कमाल ने दावा किया है कि फिल्म देखनेवाले दर्शक पर फिल्म व उसके किरदारों पर टिप्पणी करने से नहीं रोक जा सकता है। याचिका में कमाल ने कहा है कि निचली अदालत को मेरे ऊपर सीधे सलमान के खिलाफ टिप्पणी करने से नहीं रोकना चाहिए था। निचली अदालत मुझे सलमान के खिलाफ निजी टिप्णी करने से रोक सकती थी। गुरुवार को कमाल की याचिका पर न्यायमूर्ति अजय गडकरी के सामने सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करन के बाद न्यायमूर्ति ने सलमान, उनकी प्रोडक्शन कंपनी व अन्य को नोटिस जारी किया और उन्हें याचिका पर जवाब देने को कहा। गौरतलब है कि निचली अदालत ने पिछले दिनों फिल्म अभिनेता सलमान खान की ओर से दायर किए गए मानहानि के दावे पर सुनवाई के बाद कमाल को सलमान के बारे में कोई टिप्पणी व मानहानिपूर्ण सामग्री पोस्ट करने से रोक दिया था। कमाल ने सलमान की फिल्म राधे व उनके दूसरे वीडियों को लेकर टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी है।
सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान जान गंवानेवाले मजूदूरों का मामला, मुआवजे को लेकर किया सवाल
वहीं बांबे हाईकोर्ट ने हाउसिंग सोसायटी में सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय जान गंवानेवाले मजूदरों के मुआवजे के मुद्दे को लेकर सवाल किया है। हाईकोर्ट ने यह सवाल 23 दिसंबर 2019 को महानगर के गोवंडी इलाके में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान जान गंवानेवाले मजदूरों की पत्नी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान किया। गुरुवार को न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने इस मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने पूछा कि क्या मजदूरों को कोई मुआवजा मिला है। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता ईशा सिंह ने कहा कि इस मामले से जुड़ी घटना को एक साल से भी अधिक का वक्त गुजर गया है, लेकिन सफाई कर्मचारियों की पत्नी को कोर्ई मुआवजा नहीं मिला है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जिलाधिकारी को सेप्टिक टैंक में सफाई के दौरान जान गंवानेवाले मजूदरों के हर परिवार को दस लाख रुपए मुआवजे के रुप में देना चाहिए। जिसे बाद में जिलाधिकारी मजदूरों को काम में रखनेवाले निजी नियोक्ता से वसूल सकते हैं। सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने कहा कि मजदूरों के मुआवजे को लेकर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इस मामले में बिल्डर ने सरकार के पास मुआवजे के रुप में तीन लाख 75 हजार रुपए जमा किए हैं। क्योंकि मजदूर एक निजी हाउसिंग सोसायटी में काम कर रहे थे। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी और सरकारी वकील को 17 सितंबर 2021 को बिल्डर की ओर से दिए गए चेक के साथ आने को कहा।
Created On :   16 Sept 2021 7:46 PM IST