हाईकोर्ट : कोरेगांव मामले में सुधा के खिलाफ सबूत नहीं- वकील, खसखस बीज को लेकर खारिज याचिका 

High court : No evidence against Sudha in Koregaon case - lawyer
हाईकोर्ट : कोरेगांव मामले में सुधा के खिलाफ सबूत नहीं- वकील, खसखस बीज को लेकर खारिज याचिका 
हाईकोर्ट : कोरेगांव मामले में सुधा के खिलाफ सबूत नहीं- वकील, खसखस बीज को लेकर खारिज याचिका 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी सुधा भारद्वाज के वकील युग चौधरी ने शुक्रवार को बांबे हाईकोर्ट में दावा किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है। पुलिस ने किसी और के कम्प्यूटर से मिले दस्तावेज के आधार पर मेरे मुवक्किल को सिर्फ इसलिए आरोपी बनाया है कि उसमे उनके भी नाम का उल्लेख है। जबकि वास्तव में उन दस्तावेजों से मेरे मुवक्किल का कोई लेना देना नहीं है। और उन दस्तावेजों में मेरे मुवक्किल के हस्ताक्षर भी नहीं है। हाईकोर्ट में सुधा भारद्वाज की ओर से दायर जमानत आवेदन पर सुनवाई चल रही है। पुणे पुलिस ने सुधा भारद्वाज के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है। निचली अदालत से जमानत न मिलने के चलते भारद्वाज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल के सामने अधिवक्ता युग चौधरी ने कहा कि पुलिस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जो सीधे तौर पर मेरे मुवक्किल की भूमिका को दर्शाए। फिर भी पिछले एक साल से मेरी मुवक्किल जेल में हैं। मेरे मुवक्किल के खिलाफ पुलिस ने जो सबूत पेश किए हैं उन्हें प्रमाणिक नहीं माना जा सकता। क्योंकि कई दस्तावेजों में न तो तारीख है और न ही उसके लेखक का नाम है। इन दस्तावेजों पर किसी के हस्ताक्षर भी नहीं हैं। इसलिए इन दस्तावेजों के आधार पर मेरे मुवक्किल को आरोपी बनाना सही नहीं है।  एडवोकेट चौधरी ने कहा कि ऐसे मामलों में अभियोजन पक्ष अक्सर आरोपियों को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देता है जिससे कोर्ट में इन आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी जाती है। इस बीच न्यायमूर्ति ने कहा कि उन्हें इन सारे दस्तावेजों को संकलित करके सौपा जाए। बार-बार जमानत आवेदन में इन दस्तावेजों को देखने में दिक्कत हो रही है। इस पर सरकारी वकील अरुणा पई ने कहा कि वे दस्तावेजों का संकलन उपलब्ध कराएगीं। इसके बाद न्यायमूर्ति ने मामले की सुनवाई को 4 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। 
 

खसखस के बीज को लेकर सीबीएन की नोटिस में कोई खामी नहीं

बांबे हाईकोर्ट ने देश में खसखस बीज के आयात के नियमन के संबंध में सेंट्रल ब्यूरो आफ नार्कोटिक्स (सीबीएन) की ओर से जारी नोटिस को रद्द करने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इस नोटिस में दिए गए दिशा-निर्देशों के जरिए खसखस के आयात से जुड़े निरंकुश अधिकार को रोकने की दिशा में कदम बढाया गया है। छैलबिहारी ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड व एक अन्य कंपनी ने सेंट्रल ब्यूरो आफ नार्कोटिक्स की ओर से जारी की गई नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ ने खारिज कर दिया है। सीबीएन ने नोटिस में मुख्य रुप से तुर्की से खसखस के बीज के आयात को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए थे। और इस संबंध में पंजीयन के नियमों का भी उल्लेख किया गया था। याचिका में दो कंपनियों ने दावा किया था कि सीबीएन की नोटिस असंवैधानिक है क्योंकि यह हमारे (याचिकाकर्ता) व्यापार व कारोबार करने के अधिकार को प्रभावित करती है। यहीं नहीं इससे बडे व्यापारियों का इस कारोबार में एकाधिकार हो जाएगा। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आयातक होने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। खसखस के बीज आयात करने का भी कोई मौलिक अधिकार नहीं है। बिना पाबंदी के कुछ भी आयात करने का भी कोई मौलिक अधिकार नहीं है। इस दौरान खंडपीठ ने साफ किया कि सीबीएन की नोटिस ने खसखस के बीज के आयात संबंधी निरंकुश अधिकार को रोकने के लिए दिशा-निर्देश उपलब्ध कराए हैं। इसे कारोबारी गुटबाजी रोकने व सही आयातकों की पड़ताल करने के लिए जारी किया गया है। नियमानुसार सालाना खसखस बीज के आयात की अलग-अलग जगहों से एक सीमा तय की गई है। खंडपीठ ने कहा कि हमे नोटिस में कोई खामी नजर नहीं आ रही है। इसलिए नोटिस को कायम रखा जाता है और याचिका को खारिज किया जाता है। 
 

Created On :   30 Aug 2019 8:59 PM IST

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