सात करोड़ के स्कॉलरशिप घोटाले के आरोपियों को हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत 

High Court not granted bail to 7 crore scholarship scam accused
सात करोड़ के स्कॉलरशिप घोटाले के आरोपियों को हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत 
सात करोड़ के स्कॉलरशिप घोटाले के आरोपियों को हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत 

डिजिटल डेस्क,मुंबई। अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग के स्टूडेंट्स की फीस व छात्रवृत्ति के गबन से जुड़ा आर्थिक अपराध सामाजिक ताने-बाने और इस वर्ग के लोगों के उत्थान को प्रभावित करता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों की फीस व छात्रवृत्ति के सात करोड़ रुपए के गबन के मामले में आरोपी महिला की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए उपरोक्त बात कही है।  राज्य सरकार ने विशेष पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति तथा घुमंतू जाति के विद्यार्थियों के लिए ई स्कालरशिप योजना की शुुरुआत की थी। इस योजना के तहत पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों की फीस कालेज के खाते में और छात्रवृत्ति की रकम सीधे स्टूडेंट्स को दी जाती थी। लेकिन इसके लिए संबंधित शैक्षणिक संस्थान को पात्र विद्यार्थियों की सूची संस्थान प्रमुख अथवा प्राचार्य को आवेदन के साथ राज्य के समाज कल्याण विभाग को भेजनी पड़ती है। योजना को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके इसके लिए निजी आईटी कंपनी मॉसटेक की सेवा ली थी। कंपनी के तीन कर्मचारी सहयोग के लिए समाज कल्याण विभाग में नियुक्ति किए गए थे। जिन्होंने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर ई-स्कालरशिप के तहत स्टूडेंट्स को मिलनेवाली राशि के गबन की साजिश रची।  

 न्यायमूर्ति साधना जाधव व न्यायमूर्ति एएम बदर की खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि आरोपी सरिता काले ने तकनीकी जानकारी होने के चलते स्कालरशिप  से जुड़े वित्तीय घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आरोपी काले सरकार से मंजूर फीस की प्रतिपूर्ति व  स्कालरशिप के लिए पात्र स्टूडेंट्स की लिस्ट में छेड़छाड़ करते हुए उनके बैंक खाता क्रमांक व  स्टूडेंट्स  के नाम बदल देती थी। जिससे पैसे अपात्र स्टूडेंट्स   के बैंक खाते में चले जाते थे।   सुनवाई के दौरान काले के वकील ने कहा कि मेरी मुवक्किल  पिछले चार साल से जेल में है। जबकि मामले को लेकर आरोपपत्र भी दायर किया जा चुका है। ऐसे में मुकदमे की सुनवाई के दौरान मेरे मुवक्किल को जेल में रखने की कोई जरुरत नहीं है। यह किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं है। वहीं सरकारी वकील ने आरोपी की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर कुल सात करोड़ 15 लाख रुपए से अधिक का गबन किया है। इसके तहत 105 अपात्र स्टूडेंट्स को रकम दी गई है।

मामले से जुड़े कई आरोपी अभी भी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।  मामले में आरोपी एक सरकारी अधिकारी को कोर्ट में एक करोड़ रुपए 71 लाख रुपए जमा करने के बाद जमानत दी गई है। आरोपी काले व अन्य के खिलाफ इस मामले को लेकर साल 2011 में सोलापुर सदर बजार पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता ,भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून व एट्रासिटी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। निचली अदालत ने आरोपी काले व अन्य को जमानत देने से इंकार कर दिया था। लिहाजा उसने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आरोपियों के आर्थिक अपराध का असर सामाजिक ताने-बाने व पिछड़े वर्ग के स्टूडेंट्स के उत्थान पर पड़ा है। इससे इस वर्ग के कई स्टूडेंट्स का कैरियर को बर्बाद हुआ है। इसलिए आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज किया जाता है। 

Created On :   6 July 2019 12:21 PM GMT

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