हाईकोर्ट : जाति प्रमाण पत्र मामले में सांसद राणा को नोटिस, मेलघाट-धारणी में कुपोषण से निपटने होगी मैपिंग

High court: Notice to MP Navneet Rana in caste certificate case
हाईकोर्ट : जाति प्रमाण पत्र मामले में सांसद राणा को नोटिस, मेलघाट-धारणी में कुपोषण से निपटने होगी मैपिंग
हाईकोर्ट : जाति प्रमाण पत्र मामले में सांसद राणा को नोटिस, मेलघाट-धारणी में कुपोषण से निपटने होगी मैपिंग

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अमरावती से सांसद नवनीत कौर राणा और उनके पिता हरिभजन सिंह व राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस न्यायमूर्ति एएम बदर ने आरटीआई कार्यकर्ता जयंत वंजारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जारी की है। यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक जनहित याचिका में जारी किए गए निर्देश के आधार पर दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्देश में कहा है कि विधायकों व सांसदों के खिलाफ कोर्ट में प्रलंबित आपराधिक मामलों को आरोपपत्र दायर होने के बाद 6 माह में निपटारा किया जाए। वंजारी ने याचिका में दावा किया है कि सांसद राणा के फर्जी जाति प्रमाणपत्र को लेकर महानगर के मुलुंड पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई थी। क्योंकि उन्होंने यह जाति प्रमाणपत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनवाया था। इस संबंध में पहले मैजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत की गई थी। मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस को जांच करने का निर्देश दिया था। पुलिस ने अपनी जांच कर कोर्ट में साल 2015 में आरोपपत्र भी दायर कर दिया है लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी कोर्ट का फैसला नहीं आया है। यह दर्शाता है कि सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्देश का पालन नहीं हो रहा है जिसके अंतर्गत विधायकों व सांसदों के खिलाफ प्रलंबित अापराधिक मामलों को 6 माह में निपटाने के लिए कहा गया है। याचिका पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने वंजारी की याचिका में प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई 2  मार्च को रखी है। 

मेलघाट-धारणी में कुपोषण से निपटने होगी मैपिंग

अमरावती के मेलघाट व धारणी में कुपोषण के खात्मे के लिए उठाए जानेवाले कदमों की निगरानी की व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा इसके साथ ही प्रभावित क्षेत्रों की मैपिंग की जाएगी। बुधवार को बांबे हाईकोर्ट में आदिवासी विभाग की प्रोजेक्ट अधिकारी मिताली सेठी की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है। यह रिपोर्ट मेलघाट में महिला व बाल विकास विभाग, सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग, सार्वजनिक वितरण विभाग, शिक्षा विभाग, दूरसंचार व वनविभाग के 41 अधिकारियों के साथ की गई बैठक के बाद तैयार की गई है। इस बैठक में आदिवासी विभाग की प्रधान सचिव भी मौजूद थी। जिन्होंने मेलघाट के कई इलाकों का दौरा भी किया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने कुपोषण से जुड़े मुद्दे को देखते हुए पांच दिसंबर 2019 को दो महिला अधिकारियों (मिताली सेठी और इंदिरा मालू) को नियुक्ति किया था और उन्हें इस मामले में बैठक कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। इस निर्देश के तहत अतिरिक्त सरकारी वकील नेहा भिडे ने बुधवार को न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने मामले को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुपोषण के लिए कई जटिल कारण जिम्मेदार हैं इसके लिए सम्मलित प्रयास करने होंगे और कार्य योजना तैयार करनी पड़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला व बाल विकास विभाग ने कुपोषित बच्चों की स्थिति व अमृत आहार योजना का जायजा लिया है। इसके बाद तय किया गया है कि अन्य प्रभावित क्षेत्रों की मैपिंग की जाएगी। निगरानी व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा रिक्त पदों को एक माह में भरने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। 

बैठक में स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा की सुविधा, बिजली, अनाज वितरण व दूरसंचार की स्थिति कि समीक्षा की गई। रिपोर्ट में स्थानीय स्तर पर डाक्टरों की नियुक्ति करने, उपलब्ध वाहनों की सर्विंस करने, स्कूलों को बुनियादि सुविधाएं देने,बीएसएनएल की मदद से मोबाइल रेंज व इंटरनेट के लिए टावर लगाने सहित कई कदम उठाए जाने को जरुरी बताया गया है। इसके अलावा दुर्गम इलाकों में लोगों को महीने में एक दिन राजस्व अधिकारियों की मदद से अनाज उपलब्ध कराए जाए। रिपोर्ट पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमे दो सप्ताह के भीतर हलफनामे के साथ यह रिपोर्ट दी जाए। हाईकोर्ट में कुपोषण के मुद्दे को लेकर डाक्टर राजेंद्र वर्मा व सामाजिक कार्यकर्ता पूर्णिमा उपाध्याय व बंडू साने की ओर से दायर याचिकाओं व आवेदन पर सुनवाई चल रही है। 

 

Created On :   22 Jan 2020 3:21 PM GMT

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