हाईकोर्ट : नहीं की तो हम करेंगे महिला आयोग में नियुक्ति, क्यों नहीं बन सका खाद्य आयोग, हर माह दो बार हो चिल्ड्रन होम का निरीक्षण 

High Court: Otherwise we will appoint post of women commission
हाईकोर्ट : नहीं की तो हम करेंगे महिला आयोग में नियुक्ति, क्यों नहीं बन सका खाद्य आयोग, हर माह दो बार हो चिल्ड्रन होम का निरीक्षण 
हाईकोर्ट : नहीं की तो हम करेंगे महिला आयोग में नियुक्ति, क्यों नहीं बन सका खाद्य आयोग, हर माह दो बार हो चिल्ड्रन होम का निरीक्षण 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य महिला आयोग में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर बांबे हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया है। हाईकोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि 6 सप्ताह के भीतर राज्य सरकार नियुक्ति नहीं करती तो हम आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के लिए विचार करेगी। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के दौरान आयोग की अध्यक्ष को हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया है कि  वर्तमान में आयोग में कितना स्टाफ है और क्या यहां स्टाफ आयोग के कामकाज के लिए पर्याप्त है? मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदारी की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता विहार ध्रुर्वे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका में मुख्य रुप से आयोग में रिक्त पदों व काफी समय से आयोग के 6 सदस्यों की नियुक्ति न किए जाने के मुद्दे को उठाया गया है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील पीबी काकडे ने कहा कि आयोग ने सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में एक प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है। जिस पर सरकार विचार कर रही है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील एनआर बुबना ने कहा कि कोर्ट ने काफी पहले सरकार को आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया था लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है। यही नहीं सरकार ने आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त करने की बजाय पुराने अध्यक्ष के कार्यकाल को बढाया है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आयोग को काफी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। वह मुख्य रुप से महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को देखता है। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति न किए जाने के चलते कोर्ट में याचिकाएं दायर की जा रही हैं। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह 6 सप्ताह के भीतर आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करे अन्यथा अगली सुनवाई के दौरान हम नियुक्ति करेंगे। 

6 साल बाद भी राज्य में क्यों नहीं बन सका खाद्य आयोग

महाराष्ट्र में राज्य खाद्य आयोग का गठन न किए जाने पर बांबे हाईकोर्ट ने अप्रसन्नता जाहिर की है और सरकार को आयोग के गठन के लिए आखरी मौका दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून साल 2013 में लाया गया था। इस कानून के तहत राज्य सरकार को खाद्य आयोग का गठन करना था लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 6 साल सरकार के लिए आयोग के गठन के लिए पर्याप्त नहीं है। हाईकोर्ट ने यह बात अलका कांबले की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। खाद्य सुरक्षा कानून की धारा 16 के अंतर्गत राज्य खाद्य आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। ताकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर निगरानी रखी जा सके और पात्र लोगों को ही खाद्य आपूर्ति से जुड़ी योजनाओं का लाभ मिल सके। आयोग मुख्य रुप से अनाज के वितरण से जुड़ी शिकायतों को सुनेगा। यहीं नहीं यह आयोग यह भी सुनिश्चित करेगा की पात्र लोगों को ही अनाज मिले। आयोग से जुड़े लोग सरकारी योजनाओं के तहत पात्र लोगों की सूची तैयार करेंगे और अनाज वितरण मंें उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। इस दौरान मामले में न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रहे अधिवक्ता विश्वजीत कापसे ने खंडपीठ का ध्यान खाद्य सुरक्षा कानून 2013 की ओर खंडपीठ का ध्यानाकर्षित कराया। इसके बाद खंडपीठ ने सरकार को खाद्य आयोग के गठन के निर्देश के लिए आखरी मौका दिया और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। 

हर माह दो बार चिल्ड्रेन होम का करें निरीक्षण 

बांबे हाईकोर्ट ने बाल सुधार गृह में रह रहे बच्चों के संरक्षण, देखभाल व पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए हर जिले में बनाई गई बाल कल्याण कमेटी को निर्देश दिया है कि वे हर महीने दो बार बाल सुधारगृह (चिल्ड्रन होम) का निरीक्षण करे। बांबे हाईकोर्ट ने चिल्ड्रन होम से जुड़ी जनहित याचिकाओं को समाप्त करते हुए यह निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने मुंबई के चिल्ड्रन होम के निर्माण, वहां की बुनियादी सुविधाओं व वहां दिए जानेवाले भोजन के मुद्दे का स्वत: संज्ञान लिया था। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने बाल न्याय कानून 2015 की धारा 27 का उल्लेख करते हुए कहा कि हर जिले में बाल कल्याण कमेटी बनाने का प्रावधान है। इस कानून में कमेटी को चिल्ड्रन होम का निरीक्षण करने का दायित्व सौपा गया है, साथ ही जरुरी निर्देश जारी करने का अधिकार भी दिया गया है। लिहाजा बाल कल्याण कमेटी बाल न्याय कानून के तहत सौपे गए अपने दायित्व व अधिकारों का इस्तेमाल करे। इसके अलावा इस विषय पर वैधानिक कमेटिया बनाई गई है। लिहाजा कमेटी यह आश्वस्त करे की चिल्ड्रन होम के लिए पर्याप्त निधी उपलब्ध हो। खंडपीठ ने जिला मैजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वे हर तीन महीने में बाल कल्याण कमेटी के कामकाज की समीक्षा करे और हर 6 महीने में एक रिपोर्ट जिला स्तरीय विधि सेवा कमेटी के चेयेरमैन को सौपे। इसके बाद विधि सेवा कमेटी अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौपेगी और रजिस्ट्रार जनरल रिपोर्ट को हाईकोर्ट की विधि सेवा कमेटी के पास पेश करेंगे। अावश्यक होने पर मामले को लेकर हाईकोर्ट की विधि सेवा कमेटी जरुरी निर्देश जारी कर सकेगी। यह कहते खंडपीठ ने इस विषय से जुडी सभी याचिकाओं को समाप्त कर दिया। 
 

Created On :   24 July 2019 8:35 PM IST

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