हाईकोर्ट : खिलौनों पर केंद्र के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश पर रोक से इंकार, मैरिज रजिस्ट्रार की नियुक्ति पर मांगी प्रगति रिपोर्ट

High court: refuses to ban quality control order of Center on toys
हाईकोर्ट : खिलौनों पर केंद्र के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश पर रोक से इंकार, मैरिज रजिस्ट्रार की नियुक्ति पर मांगी प्रगति रिपोर्ट
हाईकोर्ट : खिलौनों पर केंद्र के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश पर रोक से इंकार, मैरिज रजिस्ट्रार की नियुक्ति पर मांगी प्रगति रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने बच्चों के खिलौने की गुणवत्ता नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार की ओर जारी किए गए आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने इस विषय से जुड़े आदेश पर गौर करने और सुनवाई के बाद पाया कि सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य व सुरक्षा के हित में यह आदेश जारी किया है। फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता है कि सरकार ने बिना अधिकार के खिलौना गुणवत्ता नियंत्रण आदेश 2020 जारी किया है। इसलिए इस मामले में याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत की मांग अस्वीकार की जाती है।  इस मामले को लेकर यूनाइटेड टॉय एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में मुख्य रुप से खिलौने को लेकर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से 25 फरवरी 2020 को जारी आदेश को चुनौती दी गई थी। जिसे एक सितंबर 2020 से लागू किया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार के पास भारतीय मानक प्राधिकरण 2016 के तहत इस तरह का आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। इस आदेश से खिलौना उद्योग पर गंभीर परिणाम होगा। खिलौने के उत्पादन पर भी गंभीर असर पड़ेगा। इसलिए सरकार की ओर से जारी खिलौना गुणवत्ता नियंत्रण आदेश पर रोक लगाई जाए। क्योंकि खिलौने की गुणवत्ता को परखने के लिए पहले से व्यवस्था है। 

बच्चों की सेहत के लिए लिया गया है यह फैसला 

न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता डीपी सिंह व एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने दावा किया कि इस मामले में उपभोक्ता 14 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं। सरकार ने उनके स्वास्थ्य व सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खिलौने व उसके निर्माण में इस्तेमाल की जानेवाली समाग्री की गुणवत्ता के नियंत्रण के बारे में आदेश जारी किया है। अक्सर देखा गया है कि खिलौने के निर्माण में इस्तेमाल किया जानेवाला कच्चा माल अच्छी गुणवत्ता का नहीं होता है। जिसका बुरा असर बच्चों के स्वास्थय पर पड़ता है। इस बारे में सभी संबंधित पक्षकारों से परामर्श लेने के बाद खिलौनों की गुणवत्ता के बारे में एक सजग निर्णय लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आर्थिक नीति व व्यापार से जुड़े प्रश्नों में अदालत का हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। खासतौर से तब जब निर्णय सभी संबंधित लोगों से विचार-विमर्श के बाद लिया गया हो। इस निर्णय के तहत भारतीय मानक प्राधिकरण से निरीक्षण खिलौनो का सुरक्षा के लिहाज से परीक्षण करेंगे। ताकि अच्छे दर्जे खिलौने ही लोगों तक पहुंचे। क्योंकि कई बार खिलौना सस्ता होता है लेकिन उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं होती है। उसमें विषैले रसायन वाली समाग्री होती है। इस आदेश के अंतर्गत खिलौने के लिए इस्तेमाल किए जानेवाले पेंट व दूसरी चीजे देखी जाएगी। इलेक्ट्रानिक खिलौने भी जांचे जाएगे जाएगे। यह आदेश बाहर से आनेवाले खिलौनों पर भी लागू होगी। सिंह की इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि खिलौना उद्योग सरकार के आदेश से कितना प्रभावित होगा। इसका मूल्यांकन सरकार करेगी। सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य व बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जारी किया है। इसलिए याचिकाकर्ता की अंतरिम राहत की मांग अस्वीकार की जाती है। खंडपीठ ने फिलहाल सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इंकार करते हुए याचिका को विचारार्थ मंजूर कर लिया है। खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 2 फऱवरी 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है और सरकार को हलफनामा दायर करने को कहा है। 

हाईकोर्ट ने राज्य में मैरिज रजिस्ट्रार नियुक्त करने को लेकर मांगी प्रगति रिपोर्ट

इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से राज्य के विभिन्न जिलों में मैरिज रजिस्ट्रार की नियुक्ति को लेकर उठाए गए कदमों की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने यह निर्देश वसई निवासी एलेन कूसर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका में दावा किया गया है कि चर्च की ओर से जारी किए जानेवाले विवाह प्रमाणपत्र बिना सरकारी मुहर के स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। चूंकि मंत्रालय में मैरिज रजिस्ट्रार का पद नौ महीनों से रिक्त है। इसके चलते ईसाई समुदाय को लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा रहा है और उसके विवाह प्रमाणपत्र पर सरकारी मुहर नहीं लग पा रही है।  याचिका में मांग की गई है राज्य के विभिन्न इलाकों में मैरिज रजिस्ट्रार की नियुक्ति की जाए। जिससे ईसाई समुदाय की मुश्किले कम हो सके।न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका में जिन परेशानियों का जिक्र किया है सरकार ने उसका संज्ञान लिया है। सरकार मैरिज रजिस्ट्रार की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने की दिशा में कदम उठा रही है। यह प्रक्रिया राज्य के विभिन्न जिलों में की जा रही है। चूंकि इसके लिए एक खास श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी की नियुक्ति की जानी है। इसलिए इसका परीक्षण किया किया जा रहा है। इसलिए सरकार को थोड़ा वक्त दिया जाए। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने सरकार को मैरिज रजिस्ट्रार की नियुक्ति को लेकर उठाए गए कदमो की प्रगति रिपोर्ट 15 जनवरी 2021 तक पेश करने का निर्देश दिया। 
 
 

Created On :   23 Dec 2020 1:55 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story