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दुष्कर्म के आरोपी के खिलाफ दायर आरोप पत्र रद्द करने से हाईकोर्ट का इंकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शादी का झांसा देकर महिला के साथ दुष्कर्म करनेवाले आरोपी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले व दायर आरोप पत्र को बांबे हाईकोर्ट ने रद्द करने से इंकार कर दिया है। मामले में आरोपी राजेश त्रिपाठी के वकील ने दावा किया था कि उसे इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है, क्योंकि उसने शिकायतकर्ता की सहमति से संबंध बनाए थे। जब मैंने पीड़िता के साथ संबंध बनाए थे तो उस वक्त वह भी विवाहित थी। ऐसे में शादी के झांसे का प्रश्न ही नहीं उठता।
इसके अलावा शिकायतकर्ता मेरी पत्नी की फेसबुक फ्रेंड भी थी। यहीं नहीं दुष्कर्म का मामला दर्ज कराने में काफी देरी हुई है। इसके अलावा शिकायतकर्ता ने मुझे गलत मामले में फंसाने की धमकी भी दी थी। ऐसे में मेरे खिलाफ मुकदमा चलाया जाना न्यायहित में नहीं है। यह एक तरह से कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग माना जाएगा। वहीं शिकायतकर्ता ने आरोपी की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जब उसका अपने पति के साथ पारिवारिक अदालत में तलाक के लिए मुकदमा चल रहा था तो उस दौरान आरोपी ने मुझे इस मुकदमे में सहयोग करने के नाम पर मुझसे मेल-जोल बढ़ाया। फिर शादी का वादा करके मेरे साथ तीन साल तक संबंध भी बनाए। यहीं नहीं आरोपी मेरे साथ मेरे गृहग्राम भी गया था। जहां उसने मेरे घरवालों से भी मुलाकात की थी। इस दौरान शिकायतकर्ता ने आरोपी के साथ हुई अपनी बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट भी पेश की।
पीड़िता ने मालाड पुलिस स्टेशन में 17 अप्रैल 2017 को आरोपी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इस दौरान सरकारी वकील ने भी आरोपी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले व आरोपपत्र को रद्द करने का विरोध किया। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने कहा कि हम शिकायतकर्ता के आरोपों को आधारहीन नहीं मान सकते है। जहां तक बात मामले से जुड़े सबूतों की है तो उसे निचली अदालत सुनवाई के दौरान परखेगी। यह कहते हुए खंडपीठ ने आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने से इंकार कर दिया।
Created On :   5 Oct 2019 6:45 PM IST