जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजे की याचिका हाई कोर्ट ने ठुकराई

High Court rejected the petition for compensation in lieu of land acquisition
जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजे की याचिका हाई कोर्ट ने ठुकराई
नागपुर खंडपीठ जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजे की याचिका हाई कोर्ट ने ठुकराई

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया आदेश में स्पष्ट किया है कि कानून की नजर में अपंजीकृत सोसाइटी का कोई अस्तित्व नहीं है। जब तक पंजीयन न हो जाए, उस सोसाइटी को किसी प्रकार की कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती। इस निरीक्षण के साथ हाई कोर्ट ने जस्टिस को-ऑपरेटिव सोसाइटी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें सोसाइटी ने शिवणगांव में हुए जमीन अधिग्रहण के मुआवजे का दावा किया था।

पात्र घोषित किया : मौजा शिवणगांव में सदाशिव आंभोरे नामक व्यक्ति की 1251.92 वर्ग मीटर जमीन थी। याचिकाकर्ता सोसाइटी का दावा है कि उसने आंभोरे के साथ जमीन खरीदने का सौदा किया था, जिसके बाद सोसाइटी को जमीन की पॉवर ऑफ अटॉर्नी दी गई थी, लेकिन वक्त बीतता गया। अब राज्य सरकार ने इस क्षेत्र की जमीनों का मिहान के विस्तार के लिए अधिग्रहण कर लिया है। ऐसे में उक्त जमीन के अधिग्रहण के बदले मुआवजे के लिए राज्य सरकार ने आंभोरे को पात्र घोषित किया। याचिकाकर्ता सोसाइटी ने इस पर आपत्ति ली। उसका दावा था कि मुआवजा उसे मिलना चाहिए, वहीं आंभोरे का दावा था कि कई तकनीकी कारणों से संस्था के साथ हुआ करार अवैध था। मुआवजा उन्हें ही मिलना चाहिए।

जमीन मालिक घोषित किया : दीवानी न्यायालय ने याचिकाकर्ता के खिलाफ फैसला देते हुए आंभारे को जमीन मालिक घोषित किया, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट की शरण ली, लेकिन मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाई कोर्ट ने माना कि एक गैर-पंजीकृत संस्था द्वारा किए गए इस प्रकार के करार कानून की दृष्टि में वैध नहीं है। कोई भी सोसाइटी तभी जमीन संबंधी लेन-देन की पात्र होती है, जब उसका नियमानुसार पंजीयन हुआ हो। इस निरीक्षण के साथ हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

Created On :   23 Jan 2023 1:15 PM GMT

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