कुत्तों को पहाड़ी पर ले जाने से रोक मामले में हाईकोर्ट ने वन विभाग से मांगा जवाब

High court seeks response from forest department in case of dogs being banned on taken to the hill
कुत्तों को पहाड़ी पर ले जाने से रोक मामले में हाईकोर्ट ने वन विभाग से मांगा जवाब
कुत्तों को पहाड़ी पर ले जाने से रोक मामले में हाईकोर्ट ने वन विभाग से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कुत्तो को पहाड़ी पर ले जाने पर लगाई गई रोक के खिलाफ दायर याचिका पर बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के वन विभाग से जवाब मांगा है। इस बारे में पुणे निवासी शर्मिला कर्वे व प्राणी प्रेमी ने कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में वन विभाग के जनवरी 2021 के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसके तहत कुत्तों को पुणे इलाके में स्थित पहाड़ी पर ले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। याचिका में महाराष्ट्र वन अधिनियम 2014 के नियम 9(1) के प्रवाधान को भी चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार इस तरह का प्रतिबंध नहीं लगा सकती है। 

न्यायमूर्ति एसजे काथावावाला व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने याचिका पर गौर करने के बाद वन विभाग को जवाब देने का निर्देश दिया। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता कल्याणी तुलनकर ने कहा कि मेरे मुवक्किल जिस जगह पर रहते है वहां कुत्तो अथवा पालतु प्राणियों को घुमाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। इसलिए कुत्तों को घूमाने व कसरत के लिए पहाड़ी पर ले जाया जाता है। इस बीच मेरे मुवक्किल को पता चला कि वन विभाग ने कुत्तों को पहाड़ी पर ले जाने पर रोक लगाई है। इसके पीछे विभाग ने जो कारण बताया है उसके मुताबिक पुणे की पहाडी पर मोर,खरगोस,सांप व दूसरे अन्य पक्षी रहते है। कुत्ते इनके लिए घातक हो सकते है।

इसके साथ ही वे बीमारी के भी संपर्क में आ सकते है। अधिवक्ता तुलकर ने दावा किया यह कारण उचित नहीं है। वन विभाग इस तरह का प्रतिबंध नहीं लगा सकती है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने वन विभाग को जवाब देने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को पुणे महानगरपालिका को भी पक्षकार बनाने को कहा है। 

 

Created On :   22 March 2021 3:55 PM GMT

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