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मलिक-वानखेड़े मामले पर 22 को हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य के अल्पसंख्यक कल्याणमंत्री नवाब मलिक द्वारा नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे के परिवार को लेकर किए गए दावे के संबंध में दिए गए अतिरिक्त दस्तावेजों को रिकार्ड में ले लिया है। दस्तावेजों को रिकार्ड में लेने के बाद न्यायमूर्ति माधव जामदार ने कहा कि वे 22 नवंबर को इस मामले को लेकर अंतरिम राहत के मुद्दे अपना फैसला सुनाएंगे। इसके साथ ही कहा कि वे अपेक्षा करते है कि अब मामले से जुड़े पक्षकार और दस्तावेज नहीं देंगे।वानखेडे के पिता ज्ञानदेव ने मलिक के खिलाफ हाईकोर्ट में मानहानि का दावा दायर किया है। जिसमें ज्ञानदेव ने सवा करोड़ रुपए के मुआवजे मांग की है और अंतरिम राहत के रुप में मलिक पर मीडिया में व सोशल मीडिया में उनके परिवार के खिलाफ मानहानिपूर्ण बयान देने पर प्रतिबंध लागने का आग्रह किया है। कोर्ट में पेश किए गए अतिरिक्त दस्तावेजों के आधार पर मंत्री मलिक ने दावा किया है कि एनसीबी अधिकारी वानखेडे का जब जन्म हुआ तो वे मुस्लिम थे। फिर भी उन्होंने खुद को महार (अनुसूचित जाति) का बताकर केंद्र सरकार की नौकरी हासिल की है। अतिरिक्त दस्तावेज के आधार पर मलिक ने मनपा के स्वास्थ्य अधिकारी का एक पत्र जोड़ा है। जिसके मुताबिक 1979 में वानखेडे के पिता का नाम ज्ञानदेव न होकर दाऊद वानखेडे था। 1993 में सब रजिस्ट्रार ने उनके नाम में परिवर्तन किया है। जिसके बाद दाऊद की जगह वानखेडे लिखा गया है। मंत्री मलिक ने एनसीबी अधिकारी वानखेडे के प्राइमरी स्कूल की लिविंग सर्टिफिकेट व सेंट जोसेफ स्कूल का एडमिशन फार्म भी कोर्ट को सौपा है। इन दस्तावेजे में समीर वानखेडे के मुस्लिम होने का उल्लेख है। वहीं ज्ञानदेव के वकील अरशद शेख के मुताबिक उनके पास कई दस्तावेज हैं। जिसके मुताबिक उनके मुवक्किल का नाम ज्ञानदेव वानखेडे है।
Created On :   18 Nov 2021 9:18 PM IST