शहर में कैसे बंद होगा अवैध ऑटो का संचालन? -जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगा सुझाव, अगली सुनवाई 20 अप्रैल को

How will illegal auto operations stop in the city?
 शहर में कैसे बंद होगा अवैध ऑटो का संचालन? -जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगा सुझाव, अगली सुनवाई 20 अप्रैल को
 शहर में कैसे बंद होगा अवैध ऑटो का संचालन? -जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगा सुझाव, अगली सुनवाई 20 अप्रैल को

डिजिटल डेस्क जबलपुर। हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता और राज्य सरकार से पूछा है कि जबलपुर शहर में अवैध रूप से चल रहे ऑटो का संचालन कैसे बंद हो सकता है? चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस बारे में विस्तृत सुझाव पेश करने के निर्देश देकर अगली सुनवाई 20 अप्रैल को निर्धारित की है।
गौरतलब है कि सतना बिल्डिंग निवासी अधिवक्ता  सतीश वर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि शहर की सड़कों पर बेखौफ होकर चलने वाले ऑटो लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। ऐसे ऑटो न सिर्फ शहर की यातायात व्यवस्था चौपट करते हैं, बल्कि इस हद तक सवारियों को बैठाते हैं कि हमेशा उनकी जान का खतरा बना रहता है। आवेदक का आरोप है कि शहर की सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाने वाले ऑटो के संचालन को लेकर कई बार सवाल उठे, लेकिन जिला प्रशासन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाने में नाकाम रहा है। हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2019 को नियमों का उल्लंघन करने वाले ऑटो के खिलाफ कार्रवाई करने, संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट लागू करने और स्मार्ट कार्ड रीडर की खरीदी की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश सरकार को दिए थे। मामले पर गुरुवार को आगे हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सतीश वर्मा के साथ अधिवक्ता शोभितादित्य हाजिर हुए, जबकि राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता शशांक शेखर व शासकीय अधिवक्ता हिमान्शु मिश्रा ने पक्ष रखा।
वहीं डीलर एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और अधिवक्ता अन्वेष श्रीवास्तव ने युगलपीठ को बताया कि 9 जनवरी 2019 को हाईकोर्ट ने ऑटो के नए रजिस्ट्रेशनों पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से एसोसिएशन द्वारा विभिन्न शासकीय योजनाओं के तहत करीब 6 सौ ऑटो लोन के आधार पर बेचे जा चुके हैं। अब अवैध ऑटो के कारण वैध ऑटो का संचालन शहर में नहीं हो पा रहा, जो अवैधानिक है। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिकाकर्ता और महाधिवक्ता को अवैध ऑटो का संचालन बंद करने के बारे में सुझाव पेश करने कहा।

 ऑटो ही नहीं चल रहे, तो कैसे चुकेगी किश्त: एसोसिएशन
डीलर एसोसिएशन की ओर से युगलपीठ को बताया गया कि रजिस्ट्रेशन न होने के कारण लोन पर लिए गए ऑटो खड़े हुए हैं और उनके मालिक किश्त भी नहीं चुका पा रहे हैं। सरकार खुद मान रही है कि शहर में करीब दस हजार ऑटो चल रहे हैं, जिनमें से सिर्फ 47 सौ ही वैध हैं। अवैध ऑटो के खिलाफ कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन वो जुर्माना देकर छूट जाते हैं। ऐसे में अवैध ऑटो पर नकेल कसने का स्थाई समाधान नहीं निकल पा रहा है। मामूली जुर्माना देकर फिर से मचाने लगते हैं कोहराम: याचिकाकर्ता वहीं याचिकाकर्ता ने युगलपीठ को बताया कि पूर्व में सरकार की ओर से कहा गया था कि नियमों का उल्लंघन करने वाले ऑटो राजसात किए जाएंगे, लेकिन राजनीतिक दवाब के चलते उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि दिखावे के नाम पर मामूली धाराएं लगाकर उन्हें छोड़ दिया जाता है और वे फिर से सड़कों पर कोहराम मचाने लगते हैं।

Created On :   6 March 2020 8:30 AM GMT

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