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मशीनों से बीच नदी में किया जा रहा अवैध खनन, जांच जरूरी
डिजिटल डेस्क उमरिया/शहडोल । दो जिलों के बीच बह रही सोन नदी में बीचों-बीच जिस जगह पर मशीनों के जरिये रेत का खनन होता गुरूवार को दिखा, वह स्थान उमरिया जिले के अंतर्गत आता है या फिर शहडोल जिले के अंतर्गत यह जांच का विषय है। चूंकि यह स्थान रेत खदान समूह के एकल ठेका व्यवस्था से पहले से ही चर्चित और विवादित रहा है इसलिए खनन के केन्द्र बिंदु की पड़ताल सबसे बड़ा मुद्दा है।
जानकारी के अनुसार नदी के इस पार मानपुर ब्लॉक मुख्यालय अंतर्गत आने वाला खिचकिड़ीघाट है तो उस पार शहडोल जिले के ब्यौहारी ब्लॉक अंतर्गत आने वाला मसीराघाट। यह स्थान उमरिया तथा शहडोल जिले की रेत ठेका कंपनियों आरएसआई स्टोन वल्र्ड तथा वंशिका कंसट्रक्शन के लिए सोने की खदान के समान है। कारण, यहां रेत का खनन दोनों जिलों में से किसी भी जिले की रेत ठेका कंपनी करे, दोष हमेशा सामने वाले पर ही मढ़ा जाता है। खनिज महकमा भी यहां संरक्षण की मुद्रा में आ जाता है और दूसरे जिले की सीमा का मामला बता कर पल्ला झाड़ लेता है। कुछ ऐसा ही दृश्य दैनिक भास्कर के फोटो जर्नलिस्ट ने अपने कैमरे में कैद किया है। इस तस्वीर में करीब 500 मीटर लंबा रैम्प डंपरों तथा खनन में उपयोग की जाने वाली मशीनों को नदी के बीचों-बीच तक पहुंचाने के लिए बना हुआ दिख रहा है। साथ ही दिख रहा है मशीनों से बीच नदी होता रेत का खनन। दोनों ही जिलों के खनिज अधिकारी सहित जिले के मुखिया भी यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि नदी के बीच रैम्प बनाना एनजीटी के निर्देशों की अवहेलना है। और नदी के बीचों-बीच पानी के अंदर से और वह भी मशीनों के जरिये रेत निकालने का नियम भी नहीं है। बावजूद इसके दो जिलों की सीमा पर सरेआम ऐसा हो रहा है। ताज्जुब की बात यह कि दोनों ही जिलों के खनिज अधिकारियों को यह भी पता है कि जिला रेत खदान समूह के एकल ठेके में अवैध उत्खनन तथा परिवहन के लिए हमेशा से चर्चित रहने वाली मसीराघाट (शहडोल) रेत खदान शामिल नहीं की गई थी। चित्र में उसी मसीराघाट पर पुल के पास से लंबा-चौड़ा रैम्प बना हुआ और उस पर से एक डंपर उत्खनन केन्द्र तक जाता दिख रहा है। यह काम उमरिया जिले की रेत ठेका कंपनी आरएसआई स्टोन वल्र्ड कर रही है तो भी गलत है और शहडोल जिले की वंशिका कंसट्रक्शन कर रही है तो, और भी गलत है। और रेत का काम करने वाली बड़ी कंपनियों के अलावा ऐसी हिमाकत छोटा-मोटा रेत का कारोबारी कर नहीं सकता।
नहीं हो रही कार्रवाई-
हो सकता है सच दोनों जिलों के खनिज अधिकार जानते हों लेकिन उस सच को कभी सार्वजनिक नहीं किया। ऐसे में उमरिया और शहडोल जिले के कलेक्टरों की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वह अंदर के सच को जानें तथा जनता के सामने भी लाएं ताकि आगे भी कभी जब कुछ गलत होता दिखे तो जिलों के मुखिया तक बात पहुंच सके और जिला सीमा विवाद की आड़ में रेत के अवैध उत्खनन व परिवहन के मामले को ठंडे बस्ते में न डाला जा सके।
बन गया रैम्प-
उमरिया के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव मामले को दिखवाने की बात कहते हैं। शहडोल कलेक्टर सुश्री वंदना वैद्य भी मसीराघाट तथा रोहनियाघाट वाले मामले की पतासाजी की बात कहती हैं। मशीनों के जरिये नदी के बीचों बीच रेत के खनन तथा नदी में रैम्प बना दिए जाने के मामले में दोनों जिलों के कलेक्टरों का सक्रिय होना यूं भी जरूरी है क्योंकि खनिज विभाग जांच के नाम पर हमेशा खाक डालता रहा है। ताजा मामला बुधवार का ही है जब शहडोल के खनिज अधिकारी प्रमोद शर्मा ने रोहनियाघाट पर इस पार से उस पर वाहनों व मशीनों की आवाजाही के लिए रैम्प बनाने के मामले में कार्रवाई करने की बात कही थी लेकिन उनकी जांच 24 घंटे बाद भी पूरी नहीं हो पाई। गुरूवार को श्री शर्मा जांच करवाने का ही राग अलापते रहे।
Created On :   28 April 2022 9:53 PM IST