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राज्यपाल बोले- हिंदी के विकास में गैर हिंदीभाषियों का महत्वपूर्ण योगदान
डिजिटल डेस्क, मुंबई। हिंदी भाषा के विकास में गैर हिंदी भाषियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वामी विवेकानंद बंगाली भाषी थे पर उन्होंने जहां शिकागो में जाकर अच्छी अंग्रेजी बोली व वहीं अल्मोडा आने पर हिंदी में लोगों से संवाद किया। महर्षि दयानंद ने भी हिंदी के लिए कार्य किया। 1925 में जब डा हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वमसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापनी की तो संघ के संपर्क भाषा के तौर हिंदी को चुना। यह बात राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कही। वे बुधवार को राजभवन में मुंबई हिंदी सभा के अमृत महोत्सव के उद्धाटन समारोह में बोल रहे थे। गैर हिंदीभाषी क्षेत्रों में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए महात्मा गांधी की प्रेरणा से 1944 में इस संस्था की स्थापना की गई थी। फिलहाल राज्य के खाद्य व आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल मुंबई हिंदी सभा के कुलपति हैं।
राज्यपाल ने कहा कि महात्मा गांधी ने भी पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए हिंदी भाषा का सहारा लिया। यह उनकी दुरदृष्टि को दर्शाता है कि हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए ऐसी संस्था की स्थापना कराई। कोश्यारी ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा बोली जानी चाहिए। पर जिसे मराठी नहीं आती उसे हिंदी बोलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मराठी बेहद समृद्धिशाली भाषा है। इस लिए मराठी साहित्य का हिंदी में अनुवाद होना चाहिए। इसके लिए मुंबई हिंदी सभा को आगे आना चाहिए।
हिंदी लोगों को जोड़ने वाली भाषाः भुजबल
मुंबई हिंदी सभा के कुलपति व राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि हिंदी भाषा लोगों को जोड़ने वाली भाषा है। हिंदी के चलते हम उत्तर प्रदेश, बिहार सहित अन्य राज्यों के लोगों से संवाद कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी के प्रचार प्रसार में फिल्मों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। देशभर में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार से देश को एक सूत्र में जोडे रखने में मदद मिलेगी। इस मौके पर राज्यपाल कोश्यारी के हाथों हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए कार्य करने वालों को सम्मानित भी किया गया।
Created On :   19 Jan 2022 7:26 PM IST