स्वतंत्रता की अवधारणा के विपरीत है अनिश्चित समय तक कैद में रखना - हाईकोर्ट

Imprisonment indefinitely is contrary to the concept of freedom - High Court
स्वतंत्रता की अवधारणा के विपरीत है अनिश्चित समय तक कैद में रखना - हाईकोर्ट
स्वतंत्रता की अवधारणा के विपरीत है अनिश्चित समय तक कैद में रखना - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि अनिश्चित समय तक एक युवा लड़के को कैद में रखना स्वतंत्रता के अवधारणा के विपरीत है। हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में आरोपी  एक 25 वर्षीय युवक को जमानत देते हुए यह बात कही। इंजीनियर स्नातक युवा पिछले सात महीने से जेल में बंद था। आरोपी युवक के खिलाफ उसकी दोस्त ने पुणे के दौंड  पुलिस स्टेशन में नवंबर 2019 में दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में दावा किया गया था कि एमबी वैली में जब वह आरोपी के साथ बंगले में थी तो उसने उसके साथ दुष्कर्म किया था। शिकायतकर्ता अपने कॉलेज के छात्रों के साथ वहां गई थी। शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था। इसके बाद आरोपी ने कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था। 

अदालत ने सहपाठी के साथ दुष्कर्म के आरोपी को दी जमानत

न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने आरोपी युवक के जमानत आवेदन पर सुनवाई। इस दौरान आरोपी के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले में विलंब से शिकायत दर्ज कराई गई है। आरोपी व शिकायतकर्ता के बीच जो कृत्य हुआ वह सहमति से हुआ है। उन्होंने आरोपी पर लगाए गए आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि मेरा मुवक्किल काफी समय से जेल में है और वह एक युवा है। इस लिहाज से उन्हें जेल में रखना उचित नहीं है। 

इस पर खंडपीठ ने कहा कि बदसलूकी व छेड़छाड़ की स्थिति में कोई महिला कैसी प्रतिक्रिया देगी। इसका कोई तय फॉर्मूला नहीं है। क्योंकि हर महिला अलग माहौल में जन्म लेती है और पलती-बढ़ती है। न्यायमूर्ति ने शिकायत दर्ज कराने में देरी के तर्क को अस्वीकार कर दिया। चूंकि आरोपी युवा है इसलिए उसे 50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी जाती है। क्योंकि एक युवा लड़के को अनिश्चित समय तक कैद में रखना स्वतंत्रता की अवधारणा के विपरीत है। न्यायमूर्ति ने कहा कि आरोपी पुणे का स्थायी निवासी हैं इसलिए उसके फरार होने की संभावना नहीं है। 
 

Created On :   23 July 2020 11:49 AM GMT

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