सुनाई देने से जुड़ी दिव्यांगता में हाईकोर्ट ने कहा - छात्रा का एडमिशन न करें रद्द

In hearing-related disability, the High Court said - do not cancel the admission of the student
सुनाई देने से जुड़ी दिव्यांगता में हाईकोर्ट ने कहा - छात्रा का एडमिशन न करें रद्द
सुनाई देने से जुड़ी दिव्यांगता में हाईकोर्ट ने कहा - छात्रा का एडमिशन न करें रद्द

डिजिटल  डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने दिव्यांग कोटे के तहत मेडिकल एडमिशन से वंचित होने की आशंका से ग्रसित एक छात्रा को राहत दी है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि फिलहाल छात्रा को एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दिए गए एडमिशन को रद्द न किया जाए। और यदि एडमिशन को रद्द कर दिया गया है तो खाली सीट पर किसी को प्रवेश न दिया जाए। मामला सुनने से जुड़ी तकलीफ का सामना कर रही छात्रा रुगविदा देशमुख से जुड़ा है। याचिका के मुताबिक देशमुख के पास उपलब्ध दिव्यांग प्रमाणपत्र के आधार पर उसे सोलापुर स्थित डा.वीएम मेडिकल कालेज में  दिव्यांग कोटे से दाखिला मिल गया है लेकिन जेजे अस्पताल ने कान की  जांच के बाद उसकी सुनने से जुड़ी तकलीफ को काफी कम पाया। और उसे दिव्यांग कोटे के तहत एडमिशन के लिए अपात्र ठहरा दिया। जबकि याचिका में देशमुख ने दावा किया है कि उसकी दिव्यांगता 48 प्रतिशत है। कान से जुड़ी दिव्यांगता को लेकर उसके पास दस साल की उम्र में सीविल सर्जन द्वारा जारी किया गया प्रमाणपत्र है। याचिका में देशमुख ने कहा है कि वह जेजे अस्पताल की ओर से उसकी दिव्यांगता को लेकर जारी किए गए प्रमाणपत्र से संतुष्ट नहीं है। वह अपनी जांच के लिए बांद्रा के एक संस्था में भी गई थी लेकिन वह पर जांच में काफी समय लगेगा। तब तक उसे आशंका है कि कही उसका एडमिशन न रद्द कर दिया जाए। 

देशमुख के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को जांच का एक और अवसर मिलना चाहिए। कान में सुनाई देने से जुड़ी दिव्यांगता को परखने के लिए केरला,राजस्थान,चंडीगढ,जयपुर व गोवा सहित अन्य जगहों पर संस्था है। लेकिन गोवा पहुंचना मेरे मुवक्किल के लिए काफी सुगम होगा। क्योंकि इसकी दूरी कम है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को गोवा मेडिकल कालेज में जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के सामने 11 दिसंबर 2020 को उपस्थित होने को कहा और मेडिकल बोर्ड को अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार(न्यायिक) को ईमेल के जरिए भेजने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने रजिस्ट्रार को बंद लिफापे में रिपोर्ट को 14 दिसंबर को कोर्ट में पेश करने को कहा है। साथ ही कहा है कि राज्य सरकार फिलहाल छात्रा के एडमिशन को रद्द न करे।  

Created On :   10 Dec 2020 6:27 PM IST

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