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मेडिकल जांच में युवती पायी गई पुरुष, तो नौकरी से किया गया था वंचित- हाईकोर्ट से मिली राहत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अपनी तरह के एक अनोखे मामले में बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक 19 वर्षीय युवती को पुलिस महकमे में नौकरी प्रदान करने का निर्देश दिया है। युवती ने नाशिक में पुलिस दल में कांस्टेबल पद पर भर्ती के लिए साल 2018 में जारी विज्ञापन के बाद अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग से परीक्षा दी थी। परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद युवती ने शारीरिक परीक्षा में भी सफलता हासिल की थी, लेकिन जब युवती का मेडिकल परीक्षण किया गया, तो इस दौरान जांच पाया कि युवती लड़की न होकर पुरुष है। उसके पेट में गर्भाशय और अंडाशय नहीं है। मेडिकल जांच की रिपोर्ट में मत व्यक्त किया गया कि युवती लड़की न होकर पुरुष है। काफी समय बीत जाने के बाद जब युवती को नौकरी के लिए कोई पत्र नहीं आया, तो सूचना के अधिकार(आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी। जानकारी में पता चला कि एससी वर्ग में महिला वर्ग के लिए 168 अंक की मैरिट घोषित की गई। जबकि पुरुष एससी वर्ग के लिए मैरिट 182 अकं पर बंद हुई है। युवती को परीक्षा में 171 अंक मिले थे। चूंकि युवती मेडिकल जांच में पुरुष पायी गई है। इसलिए उसे नौकरी में नियुक्ति के लिए उसके नाम पर विचार नहीं किया गया है। आरटीआई से मिली इस जानकारी के बाद युवती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में युवति ने दावा किया था कि वह जन्म से लड़की है। उसे लड़की के तौर पर ग्रामपंचायत की ओर से जन्म प्रमाणपत्र जारी किया गया। उसने अपनी पढ़ाई लड़की के तौर पर की है। स्कूल व कॉलेज से जो पहचानपत्र मिला है। उसमे पहचान लड़की के तौर पर की गई है। चूंकि मेडिकल जांच में मुझे पुरुष घोषित किया गया है। इस आधार पर मुझे नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता है।
नॉन कांस्टेबलरी पद पर होगी नियुक्ति
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता समाज के कमजोर तबके से आती है। उसके माता-पिता गन्ना काटनेवाले मजदूर है। याचिकाकर्ता दो बहन व एक भाई है। उसके घर की माली हालत अच्छी नहीं है। याचिकाकर्ता घर में सबसे बड़ी है। उसे महिला वर्ग में पुलिस कांस्टेबल में भर्ती के लिए तय किए गए अंक से अधिक नंबर मिले हैं। सिर्फ याचिकाकर्ता को मेडिकल रिपोर्ट में लड़की की बजाय लड़का पाया गया है। इसलिए उसे नौकरी से वंचित किया गया है। इस बीच खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से अपने चेंबर में भी बात की और पाया कि याचिकाकर्ता ने जब परीक्षा दी थी, तो वह 12 वीं पास थी। अब वह अच्छे अंको से बीए उत्तीर्ण हो चुकी है और एमए की पढ़ाई कर रही है। इसके मद्देजनर खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को युवती के मामले को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा। इस पर राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता को पुलिस महकमे में नॉन कांस्टेबलरी पद पर नौकरी की सिफारिश करने की दिशा में उचित कदम उठाए जाएंगे। गृहविभाग और विशेष पुलिस महानिरीक्षक को याचिकाकर्ता को लेकर सिफारिश भेजी जाएगी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को याचिकाकार्ता की नौकरी से जुड़ी सारी प्रक्रिया को चार सप्ताह में पूरा करने को कहा। खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को न सिर्फ सरकारी नौकरी दी जाए बल्कि सरकारी कर्मचारी जैसे सेवा से जुड़े लाभ व पदोन्नति भी दी जाए। खंडपीठ ने अब इस मामले की सुनवाई 25 जुलाई 2022 को रखी है।
Created On :   13 May 2022 8:39 PM IST