महंगाई बढ़ने की आशंका के चलते रिजर्व बैंक ने सस्ता नहीं किया कर्ज

Inflation will increase, so the Reserve Bank did not provide cheap loans
महंगाई बढ़ने की आशंका के चलते रिजर्व बैंक ने सस्ता नहीं किया कर्ज
महंगाई बढ़ने की आशंका के चलते रिजर्व बैंक ने सस्ता नहीं किया कर्ज

डिजिटल डेस्कमुंबई। महंगाई बढ़ने की आशंका ने एक बार फिर सस्ते कर्ज की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। इसने रेपो रेट 6% और रिवर्स रेपो रेट 5.75% पर बरकरार रखा है। आरबीआई जिस ब्याज पर कर्ज देता है उसे रेपो और जिस रेट पर पैसे जमा लेता है उसे रिवर्स रेपो कहते हैं। इसने अक्टूबर की समीक्षा में भी ब्याज दरों में कोई फेरबदल नहीं किया था। केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर पर आउटलुक भी ‘न्यूट्रल’ रखा है। यानी जरूरत पड़ने पर रेपो रेट बढ़ाया या घटाया जा सकता है। 

रेपो रेट 6% पर बरकरार, महंगाई का अनुमान 0.1% बढ़ाया 
रेपो रेट में फिलहाल कटौती की उम्मीद नहीं है, क्योंकि आरबीआई ने महंगाई का अनुमान 0.1% बढ़ा दिया है। इसका कहना है कि जून तिमाही में महंगाई नीचे गई थी, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। में महंगाई बढ़ने का अंदेशा है। कच्चे तेल के दाम बढ़ना और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों को एचआरए भुगतान इसकी मुख्य वजह है। एचआरए का सबसे ज्यादा असर दिसंबर में दिखेगा। लेकिन राज्यों द्वारा इसे लागू करने पर 2018 में भी इसका प्रभाव दिख सकता है।

दिसंबर तिमाही में 7% और मार्च में 7.8% ग्रोथ की उम्मीद
मीडिया से बातचीत में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने बताया कि इकोनॉमी के कई सेगमेंट में सुधार हो रहे हैं। बैंक पहले हुए रेट कट का फायदा ग्राहकों को देकर स्थिति बेहतर कर सकते हैं। जनवरी 2015 से रेपो रेट 2% कम हुआ, लेकिन बैंक कर्ज 1.5% तक ही सस्ते हुए हैं। केंद्रीय बैंक ने 6.7% ग्रोथ के पिछले अनुमान को बरकरार रखा है। कार्यकारी निदेशक माइकल पात्रा ने कहा कि दिसंबर तिमाही में 7% और मार्च तिमाही में 7.8% ग्रोथ की उम्मीद है। यह मौजूदा वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक समीक्षा थी। मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा 6-7 फरवरी 2018 को होगी।

पूंजी उपलब्ध कराने में मजबूत सरकारी बैंकों को तरजीह : पटेल
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि सरकारी बैंकों के रिकैपिटलाइजेशन में उन बैंकों को तरजीह दी जाएगी जिनकी बैलेंस शीट मजबूत है। बाकी बैंकों को उनमें होने वाले सुधार के अनुसार मदद मिलेगी। गौरतलब है कि सरकार ने अक्टूबर में इन बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी। कुछ रकम रिकैपिटलाइजेशन बांड के रूप में और कुछ बजटीय प्रावधानों के रूप में दी जाएगी। बाकी रकम बैंकों को खुद जुटानी पड़ेगी। पूंजी बढ़ने से बैंक ज्यादा कर्ज दे सकेंगे। सितंबर तिमाही में बैंकिंग इंडस्ट्री का एनपीए 8.4 लाख करोड़ रुपए हो गया था।

आरबीआई ने कहा- बैंक पहले हुए रेट कट का फायदा ग्राहकों को दें
आरबीआई ने अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 की छमाही में खुदरा महंगाई 4.3-4.7% रहने का अनुमान जताया है। यह इसके पिछले अनुमान से 0.1% ज्यादा है। गौरतलब है कि जून में खुदरा महंगाई 1.5% थी, जो अक्टूबर में बढ़कर 3.58% हो गई। थोक महंगाई भी अक्टूबर में 3.59% थी, जो 6 महीने में सबसे ज्यादा है। आरबीआई का कहना है कि कई राज्यों में किसान कर्ज माफी और पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज ड्यूटी और वैट में कटौती से राज्यों का राजस्व कम होगा। कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी रेट घटाने से भी राजस्व प्रभावित होगा। इससे सरकार का घाटा लक्ष्य से बढ़ सकता है। इसका असर ज्यादा महंगाई के रूप में दिखेगा। जीएसटी काउंसिल ने अक्टूबर की बैठक में आम इस्तेमाल की 27 वस्तुओं पर टैक्स घटाया था। पिछले महीने भी 178 वस्तुओं पर टैक्स रेट 28% से घटाकर 18% किया गया। अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 83,346 करोड़ रुपए रहा, जबकि सितंबर में यह 92,000 करोड़ था। जहां तक किसान कर्ज माफी की बात है, तो 2017-18 में सात राज्यों द्वारा 88,000 करोड़ के कर्ज माफ किए जाने की उम्मीद है।

प्रो. रवींद्र ढोलकिया ने लगातार 4 बैठकों में दी अलग राय
मौद्रिक नीति समिति में 6 सदस्य हैं। इनमें आईआईएम अहमदाबाद के प्रो. रवींद्र ढोलकिया लगातार 4 बैठकों से अलग राय दे रहे हैं। बुधवार की बैठक में उन्होंने रेपो रेट 0.25% कटौती के लिए वोट दिया। समिति के बाकी 5 सदस्यों ने रेट कट के खिलाफ वोटिंग की। इससे पहले जून में ढोलकिया ने रेपो रेट में 0.5% कटौती की बात रखी थी। लेकिन 5-1 से रेट नहीं बदलने का फैसला हुआ। अगस्त की बैठक में भी उन्होंने 0.5% कटौती की बात रखी, लेकिन समिति ने सिर्फ 0.25% रेट कट किया। ढोलकिया 4 अक्टूबर की बैठक में भी 0.25% रेट कट की डिमांड करने वाले एकमात्र सदस्य थे।

खाने-पीने की चीजों की महंगाई में कमी आएगी
जाड़े में नई सब्जियां आने से इनके दाम कम होंगे। दालें भी सस्ती हो रही हैं। जीएसटी काउंसिल ने अनेक वस्तुओं पर टैक्स घटा दिया है। इन सबसे खाने-पीने की चीजों की महंगाई कम होने की उम्मीद है। 3.59% थी थोक महंगाई अक्टूबर के दौरान 6 माह में सबसे ज्यादा रही।

अक्टूबर में खुदरा महंगाई  7 माह के शीर्ष पर थी

अप्रैल     2.99%
मई     2.18%
जून     1.54%
जुलाई     2.36%
अगस्त     3.36%
सितंबर     3.28%
अक्टूबर     3.58%

 

Created On :   7 Dec 2017 11:11 AM GMT

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