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नागपुर के बाबासाहब आंबेडकर समता प्रतिष्ठान में आर्थिक अनियमितता की जांच के निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के सामाजिक न्याय व विशेष सहायता मंत्री धनंजय मुंडे ने नागपुर के डॉ. बाबासाहब आंबेडकर समता प्रतिष्ठान संस्था की आर्थिक अनियमितता के जांच के निर्देश दिए हैं। मुंडे ने जांच के लिए सामाजिक न्याय विभाग के प्रधान सचिव श्याम तागडे की अध्यक्षता में समिति गठित करने के आदेश दिए हैं। इस समिति में पुणे के समाज कल्याण आयुक्त और बार्टी संस्था के महासंचालक शामिल किए जाएंगे। बुधवार को मंत्रालय में मुंडे की मौजूदगी में संस्था के निदेशक मंडल की समीक्षा बैठक हुई। इसमें निदेशक मंडल के सामने साल 2018-19 की ऑडिट रिपोर्ट रखी गई। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार संस्था को पिछले तीन सालों में दिए गए 16 करोड़ रुपए के खर्च का हिसाब समाधानकारक नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार टेंडर प्रक्रिया का बिना पालन किए काम दिए गए। कई कामों के लिए टेंडर प्रक्रिया गलत तरीके से पूरी की गई। खर्च की अदायगी पर संबंधित व्यक्ति का हस्ताक्षर नहीं होने अथवा वाउचर न रखने, खर्च का तालमेल नहीं होने समेत कई अनियमितता हुई है। मुंडे ने कहा कि जांच रिपोर्ट एक महीने के भीतर मिलने पर निदेशक मंडल की अगली बैठक बुलाई जाएगी। उस बैठक में जांच रिपोर्ट रखी जाएगी। उन्होंने संस्था के कामकाज को लेकर नाराजगी भी जताई।
नागपुर में जलापूर्ति करने वाले ठेकेदार कंपनी के कामकाज के जांच के निर्देश
वहीं महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने नागपुर शहर में 24 घंटे जलापूर्ति के लिए काम करने वाली ठेकेदार ऑरेंज सिटी वॉटर कंपनी के कामकाज की रिपोर्ट तैयार करके जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस संदर्भ में विशेष लेखापरीक्षण करने के भी आदेश दिए हैं। बुधवार को विधानभवन में नागपुर शहर को 24 घंटे और हफ्ते के सातों दिन जलापूर्ति के लिए काम करने वाली ठेकेदार कंपनी के कामकाज के संबंध में बैठक हुई। बैठक में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री तथा नागपुर के पालक मंत्री डॉ.नितीन राऊत, नागपुर मनपा आयुक्त बी राधाकृष्णन समेत नगर विकास विभाग के वरिष्ठ अफसर मौजूद थे। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नागपुर शहर में 24 घंटे जलापूर्ति के लिए ठेकेदार ऑरेंज सिटी वॉटर कंपनी के साथ किए गए करार के मापदंड, योजना लागू करने में देरी और अनियमितता की पड़ताल करके रिपोर्ट पेश करें। साथ ही नागपुर वासियों को 24 घंटे पीने के लिए शुद्ध पानी की आपूर्ति का प्रयास करें। वहीं पालक मंत्री राऊत ने कहा कि ठेकेदार कंपनी ने करार के अनुसार काम करने में देरी की है। उन्होंने कहा कि करार के अनुसार योजना पर हुए खर्च नहीं किए जाने से इसका पायदा कंपनी को हुआ है। इस कारण जनता के पैसे का नुकसान हुआ है। राऊत ने कहा कि करार के अनुसार तकनीकी कार्य क्षमता पहले 10 साल में 75 प्रतिशत तथा व्यावसायिक कार्यक्षमता 10 साल में 95 प्रतिशत पूरा होना आवश्यक है लेकिन इसकी अवधि 15 साल की गई है।
Created On :   16 Dec 2020 10:19 PM IST