शिवसेना नगरसेवक हत्याकांड में गवली को आजीवन कारावास की सजा बरकरार

Intact life imprisonment to Gawli in Shiv Sena corporator murder case
शिवसेना नगरसेवक हत्याकांड में गवली को आजीवन कारावास की सजा बरकरार
शिवसेना नगरसेवक हत्याकांड में गवली को आजीवन कारावास की सजा बरकरार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शिवसेना नगरसेवक कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में दोषी पाए गए माफिया सरगना अरुण गवली सहित 10 आरोपियों को सुनाई गई अजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है।  मुंबई की विशेष अदालत ने साल 2012 में इस मामले में गवली सहित अन्य दस लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ गवली व अन्य आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति स्वप्ना जोशी की खंडपीठ ने गवली की अपील पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को खंडपीठ ने गवली व अन्य आरोपियों की अपील को खारिज करते हुए उन्हें सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी पर लगे आरोपों को संदेह से परे जाकर साबित किया है। इसलिए इस मामले में निचली अदालत के आदेश को कायम रखा जाता है। खंडपीठ ने मामले के चार आरोपियों को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के आरोपों से बरी कर दिया है। गवली साल 2012 से नागपुर जेल में बंद है। 

क्या है मामला

घाटकोपर के असल्फा इलाके में राजनीतिक व कारोबारी रंजिश के चलते साल 2007 में शिवसेना नगरसेवक कमलाकर जामसांडेकर की हत्या कर दी गई थी। पुलिस की जांच के दौरान इस मामले में गवली गिरोह से जुड़े लोगों का नाम सामने आए। इस दौरान पता चला था इस मामले में गवली गिरोह से जुड़े लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ ही गवली को जामसांडेकर की हत्या के लिए 30 लाख रुपए की सुपारी दी गई थी। पुलिस ने इस रकम के भुगतान के संबंध में सबूत जुटाने के बाद गवली को गिरफ्तार किया था। गवली इस मामले में मई 2008 से जेल में बंद है।  इस मामले में दोषी पाए जाने के बाद हाईकोर्ट ने गवली को कई बार फर्लो व परोल पर रिहा किया है। 
 

Created On :   9 Dec 2019 2:04 PM GMT

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