पक्षकारों के लिए चलाए जाएं बाैद्धिक उपक्रम, जो दिखाएं नई दिशा

Intellectual undertakings should be run for the parties, which should show new direction
पक्षकारों के लिए चलाए जाएं बाैद्धिक उपक्रम, जो दिखाएं नई दिशा
औरंगाबाद खंडपीठ की 41वीं वर्षगांठ पक्षकारों के लिए चलाए जाएं बाैद्धिक उपक्रम, जो दिखाएं नई दिशा

डिजिटल डेस्क, औरंगाबाद। बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रसन्न वराले ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में अनुशासन बेहद जरूरी है। वंचितों को इंसाफ देते समय जो कुछ तकनीकी दिक्कतें आती हैं, वह हल करनी चाहिए। विधि विशेषज्ञों के एक समूह ने नए विषयों का चयन कर उसका एक प्रबंध भी पेश किया, तो उनका ज्ञानवर्धन हाेगा। अधिवक्ताओं ने चर्चासत्रों का आयोजन करना ही चाहिए। उनका दायित्व है कि इसके लिए वह न्यायिक व्यवस्था में उच्च परंपराओं काे स्थायी रखें और बंद हुई परंपराएं भी शुरू रखें। बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ को सुझाव दिया कि ऐसा बाैद्धिक उपक्रम चलाएं, जो पक्षकारों एवं युवा विधिज्ञाें के लिए उपयुक्त होंगे ही साथ ही में कानून के बारे में साक्षर करने में भी उपयोगी साबित होंगे और इससे उन्हें नई दिशा मिलने में भी मदद मिलेगी। अधिवक्ताओं ने संवाद के लिए एक सेतु का भी निर्माण करना चाहिए।

बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ की 41वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वह शनिवार, 27 अगस्त को बोल रहे थे। मंच पर बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय गंगापुरवाला, आैरंगाबाद खंडपीठ के प्रशासकीय न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे, खंडपीठ वकील संघ के अध्यक्ष नितिन चाैधरी, सचिव सुहास उरगुंडे, उपाध्यक्ष संदीप आंधले, निमा सूर्यवंशी भी मौजूद थी। कार्यक्रम में न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे ने कहा कि खंडपीठ में वकालत करने के बाद अभी तक 17 न्यायमूर्ति बने हैं। सुझाव दिया कि नए अधिवक्ताओं को चाहिए कि वह न्यायदान प्रक्रिया से नागरिकों को इंसाफ दिलाएं। उनका कहना था कि कई युवा ऐसे हैं, जिन्हें वकालत क्षेत्र में भविष्य दिखाई दे रहा है और वे उसमें अपना करियर बना रहे हैं।

पक्षकारों को बैठने के लिए जगह उपलब्ध नहीं-देशमुख

कार्यक्रम की शुरुआत में वरिष्ठ विधिज्ञ राजेंद्र देशमुख ने औरंगाबाद खंडपीठ की समस्याएं भी रखीं। उनका कहना था कि पक्षकारों को बैठने के लिए तक जगह उपलब्ध नहीं होने से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कहा कि जिन्हें इंसाफ देने खंडपीठ की स्थापना की गई, उन्हीं पक्षकारों को नजरअंदाज करना अनुचित है। उनके अलावा एड. एन. के. काकड़े ने कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं एवं न्यायाधीशांें की यादें ताजा कर उनके कार्याें पर रोशनी डाली। वरिष्ठ विधिज्ञ सुखदेव शेलके ने खंडपीठ की वर्ष १९५२-५३ से स्थापना होने तक किए गए संघर्ष की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। आभार एड. सुहास उरगुंडे ने माना।

८ लाख में से ६ लाख मामलों का निपटारा

न्यायमूर्ति संजय गंगापुरवाला ने कहा कि आैरंगाबाद खंडपीठ में अब तक ८ लाख १९ हजार ५१९ प्रकरण दाखिल किए गए हैं। इनमें से ६ लाख, ५३ हजार ९७० प्रकरणों का निपटान किया गया है। फाैजदारी प्रकरणों के २ लाख १३ हजार ६५० में से १ लाख, ९१ हजार, ५७१ प्रकरणों का निर्णय दिया गया। उनका कहना था कि कई अधिवक्ताओं के कानून का गहरा अध्ययन कर नींव रखने से आगे की पीढ़ी तैयार हुई और आगे की भी यह प्रचलन जारी रहेगा। यह तस्वीर निश्चित रूप से आशादायी है।  

 


 

Created On :   28 Aug 2022 3:32 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story