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जरुरी था दो दिन का अधिवेशन - महामारी से बढ़ा खर्च, पूरक मांग से होगा निधि का इंतजाम
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संकट के बीच राज्य की महा आघाडी सरकार सिर्फ दो दिनों का शीतकालिन सत्र आयोजित करने का फैसला लिया है। पहले सरकार की योजना बजट के साथ ही शीतकालिन सत्र आयोजित करने की थी, लेकिन पूरक मांगों की जरिए खर्च के लिए इंतजाम करने के लिए दो दिन का अधिवेशन बुलाना पड़ा है। आगामी 14 दिसंबर को शीतकालिन सत्र के पहले दिन शोक प्रस्ताव के साथ ही पूरक मांगे पेश कर दी जाएगी। जबकि दूसरे और अंतिम दिन इसे पारित भी करा लिया जाएगा।पूरक मांगों के साथ ही सात विधेयक-अध्यादेश भी पेश किए जाएंगे। पिछले साल विधानमंडल के शीतकालिन सत्र के दौरान राज्य की ठाकरे सरकार ने 16 हजार 120 करोड़ की पूरक मांगे पेश की थी। नवंबर 2019 में राजनीतिक संकट के बाद बनी तीन दलों की सरकार ने पहले अधिवेशन में सबसे ज्यादा पूरक मांगे मदद व पुनर्वसन विभाग का था। इस बार भी राज्य में अतिवृष्टि, तुफान के साथ-साथ वैश्विक कोरोना संकट का सामना करना पड़ा है।
कोरोना के चलते जहां राज्य का राजस्व प्रभावित हुआ है वहीं खर्च में बढोतरी हुईहै। सरकार के एक मंत्री ने बताया कि पहले शीतकालिन सत्र का आयोजन बजट सत्र के साथ करने पर विचार किया गया था लेकिन नियमानुसार विधानमंडल के दो सत्रों के बीच 6 माह से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए। विधानमंडल का पिछला सत्र सितंबर में हुआ था। इस हिसाब से फरवरी में सत्र आयोजित करना जरुरी होता।
Created On :   4 Dec 2020 8:02 PM IST