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दैनिक भास्कर हिंदी: पत्रकारिता के लिए अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान होना भी जरूरी - प्रकाश दुबे
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डिजिटल डेस्क, अमरावती। आने वाले समय में पत्रकारिता निश्चित तौर पर बेहतर होगी। आईआईएमसी (इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन) के छात्र पहले यह तय कर लें कि उन्हें पत्रकारिता करना है या फिर अखबार में नौकरी करना है। डिग्री लेने के बाद क्या करना है, यह अभी से तय कर लें। पत्रकारों ने अपने आपको जज नहीं समझ लेना चाहिए, बल्कि अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। बेहतर पत्रकारिता के लिए अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान होना भी जरूरी है, उक्त विचार 'दैनिक भास्कर' के समूह संपादक प्रकाश दुबे ने व्यक्त किए। संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय परिसर स्थित भारतीय जनसंचार विभाग (इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन) में प्रकाश दुबे ने आईआईएमसी के छात्रों का पत्रकारिता पर मार्गदर्शन किया। इस समय प्रमुख रूप से संस्था के संचालक विजय सातोकर, प्रा. अनिल जाधव, प्रा. विनय सोनुले मौजूद थे।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम छात्रों ने अपना परिचय देते हुए कितनी भाषाएं जानते हैं, इस संदर्भ में जानकारी दी। साथ ही अतिथियों का स्वागत किया गया। अभिजीत पडोले ने प्रकाश दुबे का संक्षिप्त परिचय दिया। इस समय देश की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। प्रकाश दुबे ने इस समय कहा कि उन्होंने पत्रकारिता के गुर वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र माथुर से सीखे हैं। छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में चुनौतियां भी सामने आती है। आप सच की तह तक कैसे जा सकते हैं, इसकी कोशिश करें। यह सोचना गलत है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की वजह से प्रिंट मीडिया का महत्व कम हो रहा है। इसके विपरित हिंदुस्थान की जमीनी हकीकत यह है कि लोग पहले के मुकाबले अधिक शिक्षित हो गए हैं। उन्हें जानकारी देने में अखबार का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
सोशल मीडिया के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अखबार पर सोशल मीडिया का कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सही पत्रकार, लोगों से जुड़ी एवं छिपी हुई जानकारी निकालकर खबर प्रकाशित करते हैं, जिसमें जनता का भला हो। जिस तरह मोची जूतों में छेद ढूंढ लेते हैं, उसी तरह की भूमिका में पत्रकार भी समाज की विकृतियां ढूंढ निकालते हैं। कोई भी बड़ा व्यक्ति पूरी तरह गलत अथवा फिर पूरी तरह सही नहीं हो सकता, इसीलिए हमें विभिन्न विषयों के तथ्य को सामने रखना होगा। भाषा पर पकड़ बनाने के लिए अधिक से अधिक साहित्य का पठन करना चाहिए। कई बार पत्रकारिता करते समय पत्रकारों को प्रताड़ित भी किया जाता है। इसलिए कभी निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि प्रताड़ना का सामना करना चाहिए।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।
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