मराठा समुदाय का सर्वेक्षण करने वाले संस्थानों में विशेषज्ञता का अभाव

Lack of expertise in institutes surveying the Maratha community
मराठा समुदाय का सर्वेक्षण करने वाले संस्थानों में विशेषज्ञता का अभाव
मराठा समुदाय का सर्वेक्षण करने वाले संस्थानों में विशेषज्ञता का अभाव

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठा समुदाय को लेकर जिन पांच संस्थानों की सर्वेक्षण रिपोर्ट को लेकर आरक्षण का निर्णय किया गया है, उनके पास सर्वेक्षण को लेकर तकनीकी विशेषज्ञता नहीं थी। शुक्रवार को मराठा आरक्षण के विरोध में याचिका दायर करने वाले एक याचिकाकर्ता के वकील ने बांबे हाईकोर्ट में यह दावा किया। अदालत को बताया गया कि गोखले संस्थान, रामभाउ म्हलगी प्रबोधनी, शिवाजी अकादमी, शारदा आकदमी व गुरुकृपा संस्था को मराठा समुदाय की सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति का सर्वेक्षण करने का काम दिया गया था। 

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप संचेती ने कहा कि सरकार ने इन संस्थानों को सर्वेक्षण का काम देने से पहले इनकी पृष्ठभूमि को लेकर ठीक तरह से जांच नहीं की थी। इन संस्थानों ने अतीत में कभी भी इतना महत्वपूर्ण सर्वेक्षण नहीं किया है। इनमें से तीन संस्थानों की राजनीतिक संलग्नता भी है। ऐसे में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग आरक्षण को लेकर इन संस्थानों की सर्वेक्षण रिपोर्ट को कैसे विश्वसनीय मान सकता है।

राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता वीएम थोरात ने याचिकाकर्ता की इन दलीलों का विरोध किया और कहा कि क्या याचिकाकर्ता यह कहना चाहते हैं कि आयोग ने पक्षपात किया है? आखिर याचिकाकर्ता किस आधार पर सर्वेक्षण करनेवाले संस्थानों पर आरोप लगा रहे हैं। हाईकोर्ट में सोमवार को भी इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी।

Created On :   15 Feb 2019 5:37 PM GMT

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