डांटने की भाषा युवा मन को चकनाचूर करनेवाली नहीं होनी चाहिए- चेयरमैन को जमानत नहीं

Language of scolding should not shatter young minds - no bail to the chairman
डांटने की भाषा युवा मन को चकनाचूर करनेवाली नहीं होनी चाहिए- चेयरमैन को जमानत नहीं
हाईकोर्ट डांटने की भाषा युवा मन को चकनाचूर करनेवाली नहीं होनी चाहिए- चेयरमैन को जमानत नहीं

डि़जिटल डेस्क, मुंबई, कृष्णा शुक्ला। स्कूल के चेयरमैन विद्यार्थी को डांट सकते है लेकिन यह भाषा ऐसी नहीं होनी चाहिए जो युवा मन को चकनाचूर करे दे। बांबे हाईकोर्ट ने यह बात कहते हुए एक इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन रहे आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। आरोपी गणपत राव पाटील पर कक्षा दसवीं में पढ रहे नाबालिग लड़के को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। इस मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए आरोपी पाटील ने हाईकोर्ट में जमानत आवेदन दायर किया था।

खेल के दौरान लड़की को अनजाने में लगी चोट इसलिए छात्र को पड़ी डांट

न्यायमूर्ति विनय जोशी के सामने आरोपी के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ने पाया कि छात्र सिमबॉलिक इंटरनेशनल स्कूल में पढाई कर रहा था। एक अप्रैल 2022 को छात्र के दादाजी को स्कूल से फोन गया। जब दादाजी स्कूल पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनका पोता स्कूल में फुटबाल खेल रहा था। इस दौरान अनजाने में एक लड़की को गोल पोस्ट का गार्ड लग गया जिससे  लड़की चोटिल हो गई। इससे नाराज आरोपी ने छात्रा को गंदी भाषा काफी फटकार लगाई और उसे अपमानित किया। आरोपी ने छात्र के दादाजी को लड़की को चोटिल करने की जानकारी दी। आरोपी ने कहा कि छात्र में सुधार की कोई गुंजाइस नहीं। वह झोपड्पट्टी छाप, असभ्य एवं उपद्रवी है। छात्र को स्कूल ने निकाल दिया जाएगा। अतीत में भी छात्र के बुरे व्यवहार करने की शिकायते मिली है। आरोपी ने  छात्र को नालायक कह कर भी संबोधित किया था और कहा था कि उसे जीने का अधिकार नहीं है। वह धरती पर बोझ है । आरोपी ने जब छात्र को डांटा तो उस समय एक शिक्षक भी मौजूद थे। इस घटना के कुछ घंटे बाद छात्र ने घर में जाकर फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी। 

इससे पहले आरोपी के वकील ने न्यायमूर्ति के सामने कहा कि छात्र को डांटने को  आत्महत्या के लिए उकसाने का पर्याप्त आधार नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल स्कूल के चेयरमैन थे और डिसिप्लिनरी एथारिटी भी थे। ऐसे में उनकी ओर से की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के इरादे का संकेत नहीं देती है। मेरे मुवक्किल का आशय छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने का नहीं था।।वहीं सरकारी वकील ने आरोपी की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी द्वारा छात्र को लगातार परेशान किया जाना व अपमानित करना तथा बुरा बरताव करना आत्महत्या के लिए उकसाने के वास्ते पर्याप्त है। आरोपी ने ऐसी परिस्थितियां बनाई जिससे छात्र ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। इसके अलावा मामले की जांच प्रगति पर है। इसलिए आरोपी को जमानत न दी जाए। 

डांट का छात्र के मन में ऐसा प्रभाव बना जिससे वह गहरी निराशा में डूब गया

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि इसमे कोई संदेह नहीं है कि आरोपी छात्र को डांट सकता है लेकिन डांटने की भाषा ऐसी नही होनी चाहिए कि वह युवा मन को चकनाचूर कर दे। इस मामले में आरोपी ने छात्र के मन में ऐसी धाराणा बनाई जिससे वह गहरी निराशा में डूब गया। इस मामले में आरोपी की ओर से छात्र के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द आपत्तिजनक है। आरोपी के कृत्य के कुछ समय बाद एक युवा छात्र का जीवन खत्म हो गया। इस मामले की जांच जारी है। ऐसे में आरोपी की हिरासत में लेकर पूछताछ जरुरी है। लिहाजा आरोपी के अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है।  कोल्हापुर के शिरोली एमआईडीसी पुलिस स्टेशन ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 305,306, 504,34 व बाल न्याय अधिनियम कानून की धारा 75 व 87 के तहत मामला दर्ज किया है। 

 

Created On :   16 May 2022 9:12 PM IST

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